Bajirao mastani बाजीराव मस्तानी

 
पेशवा बाजीराव और मस्तानी का प्यार 

यह भारत के मराठा इतिहास के Bajirao mastani  सबसे लोकप्रिय और दिलचस्प प्रेम कहानी है!

हालांकि, "एक दूसरे से मिलने से लेकर मौत तक" इतिहास में दोनों के बारे में कई तरह की बातें हैं..

समाज में इन्हें अलग करने की लाख कोशिश की गई फिर भी असफल रहे..

लेकिन इनकी बेपनाह मोहब्बत इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गई!

Bajirao-mastani


 मस्तानी कौन थी......?

 बाजीराव पेशवा कौन था.....?

बाजीराव मस्तानी का जीवन कैसा रहा.....?

और कैसे ये दोनों मरने के बाद भी मोहब्बत अमर है .....?

उनकी मृत्यु कैसे हुई.....?  

चलिए आगे देखते हैं....


Bajirao mastani love story
में मस्तानी की दिलचस्प बातें 



यह भारत के मराठा इतिहास के सबसे लोकप्रिय और दिलचस्प प्रेम कहानी है!

हालांकि, एक दूसरे से मिलने से लेकर मौत तक, इतिहास में दोनों के बारे में कई तरह की बातें हैं..

Bajirao-mastani

लेकिन सभी कहानियों में एक बात समान है वह है इन दोनों के बीच की बेपनाह मोहब्बत! 

जी हां इनकी मोहब्बत में ऐसी जान थी, जो बाजीराव के मौत का समाचार सुनते ही मस्तानी भी इस दुनिया से  अलविदा कह गई!!

मस्तानी एक हिंदू राजा, महाराजा छत्रसाल बुंदेला की बेटी थी!

उनकी मां रूहानी बाई हैदराबाद के निजाम के राज दरबार में नृत्यांगना थी!

महाराजा छत्रसाल ने बुंदेलखंड में पन्ना राज्य की स्थापना की थी click 👉deewani mastani

कुछ लोग यह भी कहते हैं कि मस्तानी को महाराजा छत्रसाल ने गोद लिया था मस्तानी की परवरिश मध्य प्रदेश के छरतपुर जिले से 15 किलोमीटर दूर मऊ सहानिया में हुई थी!

कुछ इतिहासकारों ने बुंदेलखंड का राजा छत्रसाल में जिन्होंने बुंदेलखंड में पन्ना राज्य की स्थापना की थी, की बेटी मानते हैं!

इस जगह पर मस्तानी के नाम से एक मस्तानी महल भी बना हुआ है मस्तानी  इसी महल में रहती और डांस करती थी! 

Mastani मस्तानी बेहद  खूबसूरत 💃 तो थी हीं साथ ही मस्तानी को राजनीतिक, युद्ध कला और तलवारबाजी में निपुण और घर के कामों का पूरा प्रशिक्षण हुआ था! साहित्य कला और  सभी गुणों  महारत हासिल था!

Bajirao peshwa एक महान योद्धा थे


सन 1700 में छत्रपति शिवाजी के  पुत्र साहूजी महाराज ने बालाजी राव के पिता बालाजी विश्वनाथ की मौत के बाद उसे अपनी राज्य का पेशवा यानी प्रधान सेनापति  नियुक्त किया गया!

Bajirao-mastani


20 साल के उम्र में राज्य शासन सम्भालने वाले बाजीराव ने अपने शाशन काल में 41 युद्ध लड़े
और सभी में जीत हासिल की!

बचपन से बाजीराव को घुड़सवारी, तीरंदाजी, तलवार भला, अनेठी, लाठी आदि चलाने का शौक था!

पेशवा बनने के बाद अगले 20 वर्षों तक बाजीराव मराठा साम्राज्य को बढ़ाते चले गए इसके लिए उन्हें अपने दुश्मनों से लगातार लड़ाइयां करनी पड़ी!

अपनी वीरता  अपनी नेतृत्व क्षमता वह कौशल युद्ध योजना द्वारा हर लड़ाई को जीतता गया!

विश्व इतिहास में सीमन्त बाजीराव पेशवा एक अकेला योद्धा माना जाता है जो युद्ध में कभी हारा नहीं!

एक बड़ी बात यह भी थी कि बाजीराव युद्ध मैदान में अपनी सेना को हौसलों से बुलंद हमेशा प्रेरित करते थे!(bajirao mastani)

बाजीराव की सेना भगवा  झंडों के साथ मैदान में उतरती थी और उसकी जुंबा पर "हर हर महादेव" का नारा रहता था!

बाजीराव में राजनीतिक और सैनिक नेतृत्व की अदम्य क्षमता भरी हुई थी!

इसी कारण से वह मराठा साम्राज्य को दक्षिण से उत्तर भारत के हिस्से तक अपना झंडा का परचम लहराया!!

जहां शासक साहू जी का शासन हुआ! 

युद्ध क्षेत्र की तरह ही बाजीराव का निजी जीवन चर्चा के केंद्र में रहा एक विशुद्ध हिंदू होने के बावजूद, बाजीराव दो बार शादी की थी!

बाजीराव की पहली पत्नी का नाम काशीबाई  और दूसरी मस्तानी थी!


Bajirao mastani बाजीराव मस्तानी की मुलाकात 


 सन 1728 के दौरान महाराजा छत्रसाल की राज्य पर मुस्लिम शासक सूबेदार मोहम्मद खान बंगश  ने हमला बोला!

उस समय मुगलों की सेना ज्यादा शक्तिशाली थी उस दौरान  खुद पर खतरा बढ़ता देखकर, महाराजा छत्रसाल बाजीराव पेशवा को एक गुप्त संदेश भिजवाया!

उन्होंने अपने बेटे के द्वारा बाजीराव को मदद के लिए संदेश भेजा बाजीराव हमेशा हिंदू राजाओं की मदद के लिए तैयार रहते थे!

उन्होंने तुरंत राजा छत्रसाल की मदद के लिए रवाना हो गए.. वहां पहुंचकर मुगलों को बुरी तरह से  पराजित किया!

तब मस्तानी बाजीराव peshwa bajirao के युद्ध कौशल को देखकर  अपना दिल ❤ हार बैठे और महाराजा छत्रसाल भी बाजीराव की मदद से अपना सम्मान बचा पाए और बहुत प्रसन्न हुए और खुद को  उनका कर्जदार समझने लगें!

इस कर्ज को उतारने के लिए महाराजा छत्रसाल ने अपनी बेटी मस्तानी, बाजीराव को उपहार मैं, बाजीराव पहले ही नजर में मस्तानी को दिल ❤दे बैठे थे! उन्होंने मस्तानी को अपनी दूसरी पत्नी बना लिया!

मस्तानी से पहले उनका विवाह काशीबाई नाम की महिला से हो चुका था!

लेकिन ये इश्क में मस्तानी बाजीराव की पत्नी नहीँ बल्कि एक प्रेमिका के रूप में देखा गया इसलिये बाजीराव मस्तानी कहा जाता है नकी बाजीराव और मस्तानी!


बाजीराव मस्तानी का बेपनाह इश्क


मस्तानी ने बाजीराव के दिल ❤ में एक विशेष स्थान बना लिया था!

उसने अपने जीवन में हिंदू स्त्रियों के रीति-रिवाजों को अपना लिया था!

बाजीराव के संबंध के कारण भी मस्तानी को बहुत से दुःख  झेलने पड़े पर बाजीराव के प्रति उसका प्रेम अटूट था!

Bajirao mastani मस्तानी को समाज में एक अलग नजर से देखा गया वह बहुत दुख झेलना पड़ा, बाजीराव पेशवा की माता मस्तानी को नहीं अपनाई!

समाज में उनके प्रति एक अलग माहौल था बाजीराव पेशवा एक ब्राहमण थे इस कारण ब्राह्मण परिवार समाज में तरह तरह का सवाल करने लगे....

राज दरबार में बाजीराव पेशवा को कई बार उत्तर देना पड़ा  यहां तक की कई लोग बाजीराव पेशवा का साथ देना छोड़ दिया!

मस्तानी को 1734 में एक बेटा हुआ उसका नाम शमशेर बहादुर रखा गया बाजीराव ने कालपी और बांदा की जिम्मेदारी उसे दी!

Bajirao mastani  बाजीराव मस्तानी का मृत्यु


1739 की शुरुआत में पेशवा बाजीराव मस्तानी  का रिश्ता तोड़ने के लिए लोगों ने कई  प्रयास किया लेकिन असफल रहे...!

कुछ दिन बाद बाजीराव पेशवा को कुछ कारण से पूना छोड़कर जाना पड़ा, पेशवा मस्तानी को अपने साथ नहीं ले जा सके!

चिमाजी अप्पा  और नाना साहब ने एक योजना बनाई!

उन्होंने मस्तानी को पर्वती बाग ( पूना) में कैद कर लिया गया

बाजीराव को जब यह खबर मिला तो वे अत्यंत दुखी हो हुए  बीमार पड़ गए और सदमा, के कारण उन्हें अचानक तेज बुखार आया, शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हो गए और उस समय पेशवा  बेपनाह मोहब्बत मस्तानी को बहुत याद कर रहे थे  और वे पुकार रहे थे!

उस समय उनके साथ पत्नी काशीबाई और मां साथ में थी वह जीवन में पहली और आखरी बार अस्वस्थ हुए थे और मस्तानी को याद करते करते उनकी मृत्यु हो गई!

Bajirao mastani बाजीराव की मृत्यु का बात सुनकर मस्तानी भी इस दुनिया को अलविदा कह कई, परंतु मस्तानी का मृत्यु का रहस्य अभी तक रहस्य बना हुआ है!

कोई कहता है बाजीराव की मृत्यु का समाचार सुनकर आत्महत्या कर ली, कहा जाता है उन्हें पेशवा का मृत्यु का समाचार सुनकर अपने शरीर का त्याग दिया!

बाजीराव का अंतिम संस्कार रावण खेड़ा के पास नर्मदा नदी के  पास किया गया और वहीं पर समाधि स्थल बनाया गया  जो आज भी मौजूद है!

शमशेर बहादुर में  पेशवा परिवार की बड़े लगना और परिश्रम से सेवा की!

 सन 1761 में शमशेर बहादुर   मराठों की ओर से लड़ते हुए पानीपत के युद्ध के में शहीद हो गए!









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