Love story 


दिल पाने के लिये खेला था खूनी खेल

राजस्थान का इतिहास वीरता की सच्ची गाथाओं के साथ-साथ अनुठी प्रेम कहानियों love story के लिए भी जाना जाता है। 

यहां अनेकों प्रेम कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही ऐसी है जो इतिहास के पन्नों पर अपना नाम लिखवाने में सफल हुए। 

ऐसी ही एक कहानी है मारवाड़ के एक वेश्या की बेटी की जिसने राजा के आदेश की अवहेलना की। 

उसे अपने प्रेम में इतना विश्वास था कि उसने सजा की परवाह किए बिना राजा का प्रस्ताव ठुकरा दिया था।

ये प्रेम कहानी पूरे राजस्थान में बहुत मशहूर है। गुजरात के बादशाह महमूद शाह का दिल मारवाड़ से आई जवाहर पातुर की बेटी कंवल पर आ गया। 

उसपर कंवर की खूबसूरती का भूत सवार था। उसने कंवल को समझाने की कोशिश की और कहा, " मेरी बात मान ले, मेरे पास आजा। 



मैं तुझे दो लाख रुपये सालाना की जागीर दे दूंगा और तेरे सामने पड़े ये हीरे-जवाहरात भी तेरे होंगे। 

इतना कहकर राजा ने हीरों का हार कंवल के गले में पहनाने की कोशिश की।

Love story "राजा के इस बर्ताव से खुश होने के बजाए कंवल ने नाराजगी दर्ज की और हीरों का हार तोड़कर फेंक दिया। 

उसकी मां एक वेश्या थी जिसका नाम जवाहर पातुर था। उसने बेटी की हरकत पर बादशाह से माफी मांगी। 

मां ने बेटी को बहुत समझाया कि बादशाह की बात मान ले और उसके पास चले जा तू पुरे गुजरात पर राज करेगी। 

पर कंवल ने मां से साफ मना कर दिया। उसने मां से कहा कि वह "केहर" को प्यार करती है। 

दुनिया का कोई भी राजा उसके किसी काम का नहीं।


लव स्टोरी की कुछ खतरनाक बात


कंवर केहर सिंह चौहान महमूद शाह के अधीन एक छोटी सी जागीर "बारिया" का जागीरदार था और कंवल उसे प्यार करती थी। 

उसकी मां ने खूब समझाया कि तू एक वेश्या की बेटी है, तु किसी एक की घरवाली नहीं बन सकती। 

लेकिन कंवल ने साफ कह दिया कि "केहर जैसे शेर के गले में बांह डालने वाली उस गीदड़ महमूद के गले कैसे लग सकती है।

" यह बात जब बादशाह को पता चला तो वह आग बबूला हो गया। उसने कंवल को कैद करने के आदेश दे दिए।

बादशाह ने एलान किया कि केहर को कैद करने वाले को उसकी जागीर जब्त कर दे दी जाएगी पर केहर जैसे राजपूत योद्धा से कौन टक्कर ले। 

फिर भी दरबार में उपस्थित उसके सामंतों में से एक जलाल आगे आया उसके पास छोटी सी जागीर थी सो लालच में उसने यह बीड़ा उठा ही लिया। 

होली खेलने के बहाने से उसने केहर को महल में बुलाकर षड्यंत्र पूर्वक उसे कैद कर दिया ताकि वह अपने प्रेमी की दयनीय हालत देख दुखी होती रहे।

यहाँ 👉Sad love story कंवल रोज पिंजरे में कैद केहर को खाना खिलाने आती। 

एक दिन कंवल ने एक कटारी व एक छोटी आरी केहर को लाकर दी। 

उसी समय केहर की दासी टुन्ना ने वहां सुरक्षा के लिए तैनात फालूदा खां को जहर मिली भांग पिला बेहोश कर दिया।

इस बीच मौका पाकर केहर पिंजरे के दरवाजे को काट आजाद हो गया और अपने साथियों के साथ से बाहर निकल आया। 

Love story की कुछ बात

जागीर जब्त होने के कारण केहर मेवाड़ के एक सीमावर्ती गांव के मुखिया गंगो भील से मिलकर आपबीती सुनाई। 

गंगो भील ने अपने अधीन साठ गांवों के भीलों का पूरा समर्थन केहर को देने का वायदा किया।

केहर के जाने के बाद बादशाह ने केहर को मारने के लिए कई योद्धा भेजे पर सब मारे गए। 

इसी बीच बादशाह को समाचार मिला कि केहर की तलवार के एक वार से जलाल के टुकड़े टुकड़े हो गए। 

कंवल केहर की जितनी किस्से सुनती, उतनी ही खुश होती और उसे खुश देख बादशाह को उतना ही गुस्सा आता पर वह क्या करे बेचारा बेबस था। 

केहर को पकड़ने या मारने की हिम्मत उसके किसी सामंत व योद्धा में नहीं थी।

छगना नाई की बहन कंवल की नौकरानी थी एक दिन कंवल ने एक पत्र लिख छगना नाई के हाथ केहर को भिजवाया। 

केहर ने कंवल का सन्देश पढ़ा- " मारवाड़ के व्यापारी मुंधड़ा की बारात emotional love story अजमेर से अहमदाबाद आ रही है..

 रास्ते में आप उसे लूटना मत और उसी बारात के साथ वेष बदलकर अहमदाबाद आ जाना। 
पहुंचने पर मैं दूसरा सन्देश आपको भेजूंगी।"

अजमेर अहमदाबाद मार्ग पर बारात में केहर व उसके चार साथी बारात के साथ हो लिए केहर जोगी के वेष में था उसके चारों राजपूत साथी हथियारों से लैस थे।

 कंवल ने बादशाह के प्रति अपना रवैया बदल लिया पर नजदीक जाने के बाद भी महमूद शाह को अपना शरीर छूने ना देती। 

कंवल ने अपनी दासी को बारात देखने के बहाने भेज केहर को सारी योजना समझा दी।


Love story book in hindi की तरह


 बारात पहुंचने से पहले ही कंवल ने राजा से कहा - "हजरत केहर का तो कोई अता-पता नहीं आखिर आपसे कहां बच पाया होगा, 

उसका इंतजार करते करते मैं भी थक गई हूं अब तो मेरी जगह आपके चरणों में ही है। 

लेकिन हुजूर मैं आपकी बांदी बनकर नहीं रहूंगी अगर आप मुझे वाकई चाहते है तो आपको मेरे साथ विवाह करना होगा और विवाह के बारे में मेरी कुछ शर्तेंं है वह आपको माननी होगी।"

कंवर की शर्तें
1- शादी मुंधड़ा जी की बारात के दिन ही हों।

2- विवाह हिन्दू रितिरिवाजानुसार हो। विनायक बैठे, मंगल गीत गाये जाए, सारी रात नौबत बाजे।

3- शादी के दिन मेरा डेरा बुलंद गुम्बज में हों।

4- आप बुलंद गुम्बज पधारें तो आतिशबाजी चले, तोपें छूटे, ढोल बजे।

5- मेरी शादी देखने वालों के लिए किसी तरह की रोक टोक ना हो और मेरी मां जवाहर पातुर पालकी में बैठकर बुलन्द गुम्बज के अन्दर आ सके।

उसकी खुबसूरती love story में पागल राजा ने उसकी सारी शर्तें मान ली। 

शादी के दिन सांझ ढले कंवल की दासी टुन्ना पालकी ले जवाहर पातुर को लेने उसके डेरे पर पहुंची वहां योजनानुसार केहर शस्त्रों से सुसज्जित हो पहले ही तैयार बैठा था

 टुन्ना ने पालकी के कहारों को किसी बहाने इधर उधर कर दिया और उसमे चुपके से केहर को बिठा पालकी के परदे लगा दिए।

Conclusion  उपसंहार


 पालकी के बुलन्द गुम्बज पहुंचने पर सारे मर्दों को वहां से हटवाकर कंवल ने love story में  केहर को वहां छिपा दिया।

थोड़ी ही देर में राजा हाथी पर बैठ सजधज कर बुलंद गुम्बज पहुंचा। 

महमूद शाह के बुलंद गुम्बज में प्रवेश करते ही बाहर आतिशबाजी होने लगी और ढोल पर जोरदार थाप की गडगडाहट से बुलंद गुम्बज थरथराने लगी। 

तभी केहर बाहर निकल आया और उसने बादशाह को ललकारा -" आज देखतें है शेर कौन है और गीदड़ कौन ? 

तुने मेरे साथ बहुत छल कपट किया सो आज तुझे मारकर मैं अपना वचन पूरा करूंगा।"

दोनों योद्धा भीड़ गए, दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। दोनों में मल्लयुद्ध होने लगा। 

उनके पैरों के धमाकों से बुलंद गुम्बज थरथराने लगा पर बाहर हो रही आतिशबाजी के चलते अन्दर क्या हो रहा है किसी को पता न चल सका। 

चूंकि केहर मल्ल युद्ध में भी प्रवीण था इसलिए महमूद शाह को उसने थोड़ी देर में अपने मजबूत घुटनों से कुचल दिया..

 बादशाह के मुंह से खून का फव्वारा छुट पड़ा और कुछ ही देर में उसकी जीवन लीला समाप्त हो गयी।

दासी टुन्ना ने केहर व कंवल को पालकी में बैठा पर्दा लगाया और कहारों और सैनिकों को हुक्म दिया कि - जवाहर बाई की पालकी तैयार है..

उसे उनके डेरे पर पहुंचा दो और बादशाह आज रात यही बुलंद गुम्बज में कंवल के साथ विराजेंगे। 

कहार और सैनिक पालकी ले जवाहर बाई के डेरे पहुंचे वहां केहर का साथी सांगजी घोड़ों पर जीन कस कर तैयार था। 

केहर ने कंवल को व सांगजी ने टुन्ना को अपने साथ घोड़ों पर बैठाया love story और  चल पड़े। 

जवाहर बाई को छोड़ने आये कहार और शाही सिपाही एक दूसरे का मुंह ताकते रह गए।

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