प्यार की झलक


बहुत विवाद पर अपनी ही बात कहता है मेरे अंदर मेरा छोटा सा शहर रहता है मैं आप को सुनाने जा रहा हूं सभा आफरीन की लिखी कहानी अच्छी लड़की रिया का  पानी सफेद नहीं थोड़ा कालापन लिए हुए था कुछ ऐसी गहरी रंगत हो रही थी जैसे कई जमने की शुरुआत हो चुकी हो हड्डियों को कपा देने वाली सर्दी में खून जलता हुआ मालूम होता था दरिया के दोनों तरफ ऊंचे पहाड़ थे और उन पहाड़ों को जोड़ता हुआ पतला राशियों जैसा पुल मैं धीमे-धीमे छोटे कदम उठाती उस पुल पर चलती जा रही थी कि अचानक मेरा पांव डगमगाए और मैं जोर से चीखी तभी मेरी बच्ची ने मुझको थाम लिया मेरी आंखों में नहीं सोए थे और नहीं ई रहा था


 जिसे जिससे मेरी छोटी बहन कहती थी कि पंखा की खुदाई में मिला होगा नहीं नहीं रही थी दादी की फटकार सुनकर ही करने वाला भी नहीं था




लेते वक्त खामोश रहती और दादी जी भर्ती जी भर से उतरते वक्त उन आंखों से चप्पल पहनते वक्त भी नहीं थी और ना ही अब बाकी अब्बा की आवाज आती थी सोने वालों गरम जलेबी आ गई है जो सोता है वह होता है खोता है मैंने पूरी अपनी आंखें खोली यह हमारा कमरा नहीं था यहां का गेस्ट रूम था कि सर्दी से बचने के लिए खाने अब मुझ पर मुलायम डाल दिया था मुझे खबर नहीं हुई भी नहीं हुई और अमीरों के घर वाली महक घरों में कुछ देर बाद में तो कर बाहर आई तो किचन की तरफ से आया दिखा गई गई आलू का भांजा खुदा ने उसको कितनी मोहब्बत थी मुझे यहां आए कुछ ही दिन हुए थे लेकिन अंदाजा हो गया था कि कि जिंदा है वरना ठीक ठाक ध्यान रखने वाला ऐसा कौन होगा कि के इंजीनियरिंग करने के बाद वापस से होटल मैनेजमेंट करने लग जाए मैं सोफे पर बैठी पेपर पढ़ रही थी कि के पास आकर बोली कि आज दोपहर को बेस्ट लेनी है उनकी बात सुनकर मेरी निगाह सवालिया अंदाज में ठहर गई एहसास हो गया कि जो कपड़े बेहतरीन समझ के बाद में थे उनकी शहर में कोई खास कीमत नहीं थी तुम प्यारी हो सूरत हो इसमें कोई शक नहीं है ना उनके हिसाब से अच्छे कपड़े खरीदने हुए कहा हुए कहा और मैं दोनों खूबसूरत हो जाता है ना की बात चल रही थी जिन लोगों को खूबसूरत लड़की की तलाश थी तलाश पूरी हो चुकी थी 2 साल से घर बैठकर क्या शादी का इंतजार कर रही थी ऐसे में कम करने में उनकी मदद कर रही थी मेरा सवाल 




 इस कहानी में अब तक आपने सुना बीस इक्कीस साल की महरु कुछ दिनों के लिए अपनी हाला के घर आई है आलू बड़े बिजनेसमैन हैं और अपने जानने वालों में से किसी से मेहरू का रिश्ता करवाना चाह रहे हैं मेहरू नहीं जानती कि उसे भविष्य से क्या उम्मीदें हैं उम्मीद है हालांकि घर में खालू का भांजा भी रहता है मंजर जिससे नेहरू की जरा सी दोस्ती हो गई है अब आगे मां कहती थी हम आदतों के गुलाम होते हैं जो आदत एक दफे लग जाए वह जल्दी छुट्टी नहीं उनकी यह बात किसी हद तक दुरुस्त लगी मुझको यहां आकर एहसास हुआ था कि हमारी




के बना है खाने में कितनी लागत होती है खाना के घर का खाना एक दम पर ही टाइप होता था खाली हो तो बिजनेस करते थे मगर रखरखाव खाना-पीना अफसरों को मार देता था जरा भी घी तेल मसाला नहीं एक एकदम बैलेंस डाइट और मूंग दाल का हलवा बना तो निगाहों से हाला की तरफ देखा और बोले अब नहीं तो कम से कम हमारी सेहत की परवाह कर लो मुझे उनका ठीक नहीं लगा था ना होते तो हम लेते कर चुकी थी और अब दोपहर का लंच करने का बिल्कुल मन नहीं था रूम में बैठी हूं थी जो अलग-अलग रंगों में सजी ऑफ़ रही थी और शीशे के घर में कैद यहां वहां दौड़ रही थी मैं ख्यालों में गुम घूमती तभी गुम तीतर की आवाज नहीं पूछा मैं जवाब देने के बजाय उसे देखने लगी तो वह कंधे उचका कर बोला नहीं खाना हो तो मत खाओ करो वैसे करो वैसे मंदिर में खुद बनाया है उसने सेंटर टेबल पर रखी और आराम से एक बड़ा सा पीस उठाकर खाने लगा शानदार टॉपिंग की हुई थी चीज की तो जैसे बाहर आ गई थी उसने उंगलियों में लगी चीज को चाटते हुए यूं ही गर्दन घुमाई तो मैंने जल्दी से कहा मुझे भी खाना है मजेदार बना था उसके हाथों में




स्वास्थ्य सच था मैंने दूसरा टुकड़ा उठाते हुए कहा जबरदस्त बना था बना था मैंने कहा मुस्कुराया और बोला पासपोर्ट बनाने में मजा आता है बचपन में कुछ नया ट्राई करता रहता था उसके बाद मुझको एहसास हुआ कि मैं वही काम करूंगा जिसको मैं इंजॉय कर सकूं फिर तुम देख रही हो मेरा शौक मेरा घर बन गया में रह गया उसने बहुत ऊंचा करके खास अंदाज में मेरी तरफ देखा तुम अच्छे बनोगे मैंने कहा तो होठों को छोड़ा छोड़ दिया सिकुड़ा के घर आए हुए कई रोज हो गए थे इस बड़े शहर में रहते हुए शाम को पार्क में चहल कदमी करते हुए अपने छोटे से कस्बे की याद आने लगी थी नरम गद्दे और नक्काशी वाले बेड पर सोते हुए मुझे अपने घर का याद आता था दादी की दुआओं भरी याद आती थी जिनसे बुरे ख्याल भूत प्रेत हमसे दूर रहते थे आज दिन में सो जाने की वजह से रात बड़ी भारी गुजर रही थी का कहीं का कहीं पता ठिकाना नहीं था सोने की कोशिश करते करते थक गई तो लिविंग एरिया की तरफ चली आए वहां से सुपरटेक लगाए बैठी थी मैं हाला के करीब पहुंची तो देखा उनकी आंखें बंद थी और हाथी फोटो फ्रेम हाथों ने थाम रखा था उनका चेहरा आस्था आंखों से अपनी ही बात कहता है मेरे अंदर मेरा छोटा सा शहर




है वह अपनी शाला के घर आई हुई है यह उसे उसकी शादी तय करने के लिए बुलवाया गया है हालांकि यहां उसकी दोस्ती मंजूर से हो जाती है जो भालू का भांजा है एक रात महरु देखती है कि हाला रो रही है है वह हैरान होती है अब बार अब ने बार अपनों के दुख हमें उनसे करीब कर देते हैं हालांकि हाथों को अपनी हथेलियों में समेटे हुए मैं उनको देखने जा रही थी कहीं वही हालत है जिनके रुतबे का दौलत का वह असर था कि हमारा पूरा ननिहाल इनकी एक आवाज पर खड़ा हो जाता था हमें लगता था हालांकि जिंदगी में दुख हो रहा हूं जैसी चीजों का कोई गुजर नहीं मुझे याद आने लगा जब खाला लंबी सी कार से उतरती थी




मामू और अम्मी की बाकी बहने वाला को रस भरी नजरों से देखा करते थे क्योंकि वह सब अपनी जिंदगी में पैसों की तंगी से जूझ रहे थे मैं ख्यालों में गुम उनके आंसुओं की वजह ढूंढ रही थी कि तभी वो रुंदी आवाज में बोली मैं अपने बच्चे के साथ नहीं रह पाई उम्र में जाना पड़ा उसको वह क्या जाने क्या होता है अपनी आंखों के सामने उसको जवान होता हुआ नहीं देख पाए कर रही थी कर रही थी नहीं तो खुद मेरी आंखें नम हो मेरी मेरे छोटे घरों से महलों का सफर तय करने में लड़कियों को बड़ी कुर्बानी देनी पड़ती है उनकी अच्छी परवरिश कैसे कर सकती थी मुझे उस पर ममता और कुछ नहीं आता था मैं अपने बेटे को सिर्फ प्यार कर सकती थी बड़े लोगों को कैसे आता है उसको बोर्डिंग भेज दिया सारे दुख दुख में मुझको में मुझको भिगो दिया मैंने उनको गले से लगा लिया और उस लम्हे मुझे उनका ख्याल आया तुमको याद करता होगा वह भी तो मां के लिए तरसा हो गाना वीडियो में कितनी होती है अजीब सी अजीब सी घुटन महसूस हो रही थी मैं लोन में आकर बोलने लगी ठंडी हवा चेहरे को सही थे थे सुरक्षा दे रहे बेशुमार पौधे सूरत से मिलने पर खुशी से झूम रहे थे मगर न जाने क्यों हर खूबसूरत घरौंदा कुछ भी का लग रहा था जैसे इस आलीशान घर




दीवारों में कुछ सुनने या बोलने की सलाहियत ही नहीं अजीब बेजान सागर नाश्ता करने की के अंदर डाइनिंग टेबल की तरफ तो यहां मंजूर और पहले से बैठे हुए थे दोनों के सामने चाय के चाहे के रखे थे और धीमी आवाज में बातें हो रही थी मैं अपनी जगह ठिठक गए वापस कमरे में लौट जाऊं शायद लोग कुछ जरूरी बातें कर रहे होंगे हर घर के कुछ अपने राज होते हैं और उनकी रिश्तेदार थी घर का हिस्सा नहीं थी ने लगी पलटने लगी तभी मंजर के मुंह से अपना नाम सुना मेरे कदम रुक गए वो कह रहा था जाती तो उसको समझाएं पहले पढ़ाई कंप्लीट करें शादी के लिए भी बहुत टाइम है नहीं इतनी आसान नहीं है स्कूल टीचर है हैं उनके ऊपर घर की पूरी जिम्मेदारी है दो बहनों की तरह लंबी हो गई है मजबूरियां इंसान से छीन लेता ले तू खूबसूरत होने जा रहा है कि नहीं तो हालत को देखते हुए बोली अच्छी लड़की है बड़ों के फैसलों पर सर झुकाना उसको आता है इससे ज्यादा देर तक उनकी बातें सुनना मेरी बर्दाश्त के बाहर था मैं अकेले में कहीं जाकर फूट-फूटकर रो लेना चाहती थी पर अपनी अपनी बात ही बात कहता है मेरे अंदर मेरा छोटा सच है रहता है  सुनिए तो का है वह क्रिसमस बनाई जाती और बर्फ गिरते मेरे गांव में क्रिसमस बर्फ और वह व नववर्ष व क्रिसमस ट्री नहीं होता है बाकी भावनाएं वही है  वह आलू का एक रिश्तेदार मंजर भी है जिससे महरु की दोस्ती हो गई है उसके खा लो किसी दौलतमंद घर आने में उसका रिश्ता करवा रहे हैं उनका लड़का बिगड़ा हुआ भी है मंजर काला को सलाह देता है कि शादी के लिए महरु से भी पूछा जाना चाहिए मगर खाला कहती हैं कि अच्छी लड़कियां मां बाप मां-बाप के फैसले मांग लिया करती




मेरी बातचीत सुन लेती है अब एक तरह का काम करता है ढेर सारी आंसुओं के साथ अपनी बेबसी और दुख को दुपट्टे से पोस्ट डाला था मुझे अपनी अम्मी का चेहरा याद आ रहा था और आते वक्त उनका कहा हुआ अभी भी हाला के घर कायदे से रहना तुम्हारे खा लो का एहसान है जो अपने जानने वालों में तुम्हारा रिश्ता करवा रहे हैं अगर बात बन गई तो सिलसिला लग जाएगा तुम्हारी बहनों के रिश्ते भी आराम से हो जाएंगे हमारी के दरवाजों की चाबियां शादी के रिश्ते में थमा दी गई थी जिन्हें हम ना जानते थे ना कभी देखा था लेकिन क्या मैं खुद नहीं चाहती थी कि मेरी जिंदगी बदले मैं भी घूम घूमो फिरो शॉपिंग करूं मेरी भी उम्मीद काटे माता तारा शादी के रिश्ते में कहीं अटका हुआ था ना खाना ने आज मंजर को इंस्टीट्यूट नहीं जाने दिया तो बियर पी के आलम में यहां से वहां पर रही थी मिल ने आ रहे मिलने आ रहे थे रिश्ते के सिलसिले में खाना दोपहर से ही इंतजाम में लग गई थी मुझे जाना चाहती थी मगर इतना मजाक बना बनाया और मैंने वहां जाने से तौबा कर ली मैं चुपचाप गार्डन की तरफ चली आई ना जाने क्यों दिल की हालत ऐसी हो रही थी मैं फूलों




साए में लगे झूले पर बैठ गई धूप के टुकड़ों के में आता हुआ दिखाई दिया अगर तुम चाहती हो तो मैं भी ले चलता हूं मजाक किया था मैंने मैंने तुमको मैंने आज देखा उसे उसकी आंखों में कितना सुकून भरा था जैसे छोटे बच्चों की आंखें होती हैं हर किस्म की परेशानी से दूर सदा लापरवाह अरे अरे क्या तुम लड़कियों का जरा सा दिखाना सा हैंडसम लड़का दिखाने लग जाती हो तो मुझे हंसी आ गई हो हो वैसे ही रहो किसी को पसंद आने के लिए पार्लर क्यों जाओगी मुझे यह बात अच्छी नहीं लगती तुम अपने लिए तैयार होकर अपनी मर्जी से पार्लर जाओ तो ठीक है मगर दूसरों के के लिए खुद को बदलना मंजर दो पल रुका और फिर वापस चला गया उसे देखती रही रहूं तो ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी लड़के ने मेरे चेहरे की तरफ ध्यान ही नहीं दिया था उसे बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता था कि सामने खड़ी लड़की की शक्ल सूरत कैसी है ऐसा ही था जैसे साफ साफ पानी का दरिया बात बात बात ही बात कहता है मेरे अंदर मेरा छोटा सा शहर रहता स्त ों में ा नाम मेरा नाम है नीलेश मिश्रा कहानियां सुनाता हूं पर आप सुन रहे हैं यादों का




 सुनिए तो वह एक सुलझा हुआ मनमौजी लड़का है जो महरु को भी समझा जाता है कि शादी सोच समझकर करनी चाहिए और सिर्फ दौलत सब कुछ नहीं होती और अब नेहरू के खालू किसी दौलतमंद घर आने में उसका रिश्ता करवा रहे हैं अब के साथ के साए उतरने लगे थे वक्त के पैर तेज रफ्तार से भाग रहे थे मेहमानों के आने का वक्त हो चला था और काला के लाख कहने के बावजूद मैंने कोई टीम की ड्रेस नहीं पहनी थी अब अब्बा का लाया हुआ चूड़ीदार कुर्ता पहना था जिस पर बांधने वाला दुपट्टा था उसे मैंने कंधों पर फैसला लिया था मेकअप उतना ही था जितना मेरा दिल चाहा हल्का सा काजल फल का काजल बन जा रहे रहे के चढ़ाई जा रहा था बेचारी मारू ने बड़ी मेहनत की है इनकी होने वाली पसंद आता है कि नहीं तो वह भी मुस्कुराने लगा वहां से चली आई के साथ रहना चाहती थी ल्की आवाज रही थी आवाजें आ रही थी ना चाहते हुए भी मेरा ध्यान उधर ही लगा था मेरे पास आया और बोला देखो परेशान मत होना कोई बड़ी बात नहीं है मेरा कंधा तब का क्या कंध आपका मैंने




उसको देखा तो उसने कहा और एक बात ध्यान में बिठा लो वह लोग अगर तुम से तुमसे मिलना चाहते हैं तुमको देखना समझना चाहते हैं तो तुम को भी पूरा हक है तुम भी उन लोगों को देखो समझो उनके बेटे को पसंद करना या न करना एकदम तुम्हारी चॉइस है वापस ड्राइंग रूम की तरफ जा चुका था मुझे बुलाने और छोटे कदम उठाती उनके साथ चल दी वहां पहुंच कर पहुंचकर मैंने कहा ने मुझको ाज को अपने करीब बैठा लिया एक बार वहां मौजूद सबकी नजर गई तभी मैं किसी शख्स की आवाज आई है उसको देख रहा था तूने कहा ठीक नहीं था मैंने जो बातें कर रहे थे सुन रहा था वहां से उठ उठकर चले आए है मेरा छोटा सा है दोस्तों मेरा नाम है नीलेश मिश्रा कहानी सुनाता रहे हैं यादों का इडियट बॉक्स ईडियट बॉक्स विद नीलेश मिसरा सीजन में आप मिलते हैं करते करते-करते एक हसरत रह ही जाती है मैं कमरे में लेटी हुई नोटों की उस गाड़ी को देख रही थी जिसे शगुन के तौर पर मुझ को थमाया गया था और कोई वक्त होता तो मैं इतने सारे पैसे देख कर खुशी से झूम उठती मगर आज तबीयत बोझिल सी हो रही थी दिल्लौर जहन में कैसी भी जंग हो लंबी रातें भी जाती हैं और चमकती सुबह आ खड़ी होती है आजकल मंजर मुझे




नहीं करता था इंस्टीट्यूट आना जाना और प्रोजेक्ट पूरे करना बस यही उसकी मसरूफियत थी मैं खुद भी गेस्ट रूम में ज्यादा वक्त गुजारने लगी थी उस रात डिनर का वक्त हो चला था और हम सब डाइनिंग टेबल पर मौजूद थे आलू और मंजूर किसी पॉलिटिकल मुद्दे पर बातें कर रहे थे खाना नैपकिन वगैरह सेट कर रही थी कि तभी उनकी मोबाइल पर किसी की कॉल आई सब खामोश हो गए काला बात करने बात ों से बातों से जाहिर हो रहा था कि उन्हें खातून का कॉल था जहां मेरा रिश्ता तय हुआ था खाने बात खत्म करके फोन रखा तो हम सबकी नजरें उसी तरफ से मैसेज उस्मानी का फोन था उनका बेटा जिद कर रहा है कि फॉरेन शादी कर दी जाए अगले महीने करना चाह रही हैं खाने का तो मुझे उस लड़के की नजरें याद आ गई तो इसमें हर्ज क्या है हम पर निकाली कि कि मैं रुके वाले शादी का खर्च उठा नहीं पाएंगे सोसाइटी में लोग मजाक बना सकते हैं इसलिए दोनों तरफ का रेंट चलो




करेंगे मेरु के अब्बा को बोलना चाह रही है सारी बात साफ करने के लिए है है वैसे भी उन लोगों के स्टेटस के घरवालों के स्टेटस में जमीन आसमान का फर्क है अच्छा है दोनों तरफ का खर्च उठा रहे हैं गर्दन टेढ़ी करके हाला की तरफ देखा मेरी नशा नजरें बड़े शीशे मे कैद गई हो गई कि नहीं जा रही थी क्योंकि वह रोक रखा था जो बाहर आने को बेताब थे मुझे याद आने लगे के सामने नजरें झुकाए खड़े हैं और उनका बेटा ने बेशर्मी से मेरे वजूद को नाप रहा है मुझे मैंने मंजिल की तरफ देखा वह मुझे लगातार देख रहा था जैसे कोई चुनौती दे रहा हो हो मैंने महसूस किया फिर पूरी हिम्मत जुटा कर जुटाकर मजबूत लहजे में कहा मुझे इस रिश्ते से इंकार है लड़के से लड़के से शादी नहीं कर सकती मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है मैं आपसे माफी चाहती हूं चुप हो गई मैं देख रहा था आलू ने कड़ी करीना से मुझको देखा और बोले यह क्या तमाशा है उस्मानी साहब इतने बड़े इंडस्ट्रियल एस्टेट इंडस्ट्रियलिस्ट को इनकार कर रही हो माफी चाहती हूं और मैं उनके साथ वापस घर जा रही हूं पढ़ाई पूरी करनी है आना है तो नहीं करनी है मैं वहां से उठकर बाग भागी चली आई बगीचे में चमक रहा था और हवाओं में सफेद की भर्ती थी कुछ देर यूं ही खड़ी रही के पीछे से आया हराया दोनों हाथ डाले खड़ा रहा




यार तुम तो वाकई अच्छी लड़की हो मैं हंस कियां हंसती हुई हंसती हुई और भी अच्छी लगती है इतनी सी कहानी और चलते चलते अपने उन साथियों के नाम भी तो बता दो दो जिनकी वजह से यह सब आप तक पहुंचा पाते हैं हम इस शो के प्रोड्यूसर है कांटेक्ट प्रोजेक्ट और मंडली की साइट से अनुज नायर और की ओर से अर्पिता भट्टाचार्य और उसकी साउंड डिजाइन करते हैं हमारे ऑडियो इंजीनियर शिवम मिश्रा अभी चलता हूं कल मिलूंगा फिर लेकर एक नई कहानी यह है यादों का इडियट ईडियट बॉक्स विद नीलेश मिसरा सीजन फाइव कहानियां आप मिलते खुद से खुद से



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