प्रेम का रहस्य
Love story हेल्लो प्रिय मित्र आज इस पोस्ट में हम श्री कृष्ण द्वारा बताए गए प्रेम के रहस्य के बारे में जानेंगे!
हमें श्री कृष्ण के द्वारा कहे गए बातों को याद रखना चाहिए!
श्रीमद भगवत कथा में श्री कृष्ण स्वयं प्रेम के विषय में क्या कहते हैं ? आइए हम सब जानते हैं!
दोस्तों हम इतिहास से कुछ ना कुछ जरूर सीखते हैं आज हम भी दिलचस्प रहस्य जानेंगे!
Krishna love प्यार का रहस्य बताते हुए..
श्री कृष्ण जी कहते हैं कि यदि हम केवल हम उसी से प्रेम करते हैं जो हमसे प्रेम करता है..
तो उस प्रेम में स्वार्थ छिपा है, यह तो केवल लेना का देना है!
लेकिन हम उससे प्रेम करते हैं जो हमें प्रेम नहीं करता तो वह निस्वार्थ है
जैसे स्वभाव से ही करुणाशील सज्जन और माता-पिता हम से प्रेम करते हैं!
उनका हृदय स्वभाव से ही सौहाद्र और हितैषिता से भरा रहता है..
सच पूछो तो उनके व्यवहार में निश्चल सत्य और पूर्ण की धर्म भी है!
सच पूछो तो उनके व्यवहार में निश्चल सत्य और पूर्ण की धर्म भी है!
जो लोग👉 radha krishna मेंं प्रेम करने वालों से भी प्रेम नहीं करते वो प्रेम ना करने वालों से प्रेम करें यह तो नामुमकिन है..
इस तरह के लोगों को चार भागों में बांटा जा सकता है जो निम्न है:-
इस तरह के लोगों को चार भागों में बांटा जा सकता है जो निम्न है:-
जो अपने स्वरूप में मस्त रहते हैं,
जो केवल सेक्स को ही प्रेम मानते हैं,
जो जानते ही नहीं कि हम से कौन प्रेम करता है?
जो जान-बूझकर अपना हित करने वाले को सताना चाहते हैं!
Gopiya krishna के प्रति Cute love story कृष्ण और गोपियों में श्री कृष्ण से प्रेम
आगे श्रीकृष्ण गोपियों से कहते हैं मैं तो प्रेम करने वालों से भी वैसा व्यवहार नहीं करता, जैसा कि करना चाहिए !
मैं यह इसलिए करता हूं कि उनकी चित्तवृत्ति ओर भी मुझमें लगे, निरंतर लगी रहे!
जैसे जैसे निर्धन पुरुष को बहुत सा धन मिल जाए और फ़िर खो जाए तो उसका उसका हृदय खोई हुई धन की चिंता से भर जाता है!
Krishna love में "लव स्टोरी में ऐसे ही मैं अपने प्रेमियों से मिलकर भी छिप जाता हूँ!
इसमें संदेह नहीं कि तुम लोगों ने मेरे लिए लोक- मर्यादा, वैद्य मार्ग और अपने सगे संबंधियों को भी छोड़ दिया!
ऐसे में तुम्हारी मनोवृति कहीं ना जाए अपने सौंदर्य और सुहाग की चिंता न करे, जाए मुझ में ही लगी रहे!
इसलिए परोक्ष रूप से प्रेम करता हुआ ही मैं तुम लोगों से छिप जाता हूँ!
इसलिए तुम सब मेरे प्रेम में दोष ना निकालो तुम सब Love story में मेरी प्यारी हो और मैं तुम्हारा प्यारा हूँ!
तुमने मेरे लिए घर गृहस्ती कि उन भेड़ियों को तोड़ डाला है, जिन्हें बड़े-बड़े योगी भी तोड़ नहीं पाते!
मुझसे तुम्हारा यह मिलन यह आत्मिक संयोग सर्वदा निर्मल और सर्वदा निर्दोष है!
यदि मैं अमर शरीर से अमर जीवन से अनंत काल तक तुम्हारे प्रेम , सेवा और त्याग का बदला चुकाना चाहूं तो भी नहीं चुका सकता!
मैं जन्मो जन्मो तक तुम्हारा ऋणी हूं तुम अपनी सौम्य स्वभाव से,
प्रेम से तुम मुझे ( ऋण मुक्त )कर सकती हो परंतु मैं तो तुम्हारा ऋण ही रहूंगा!
प्रेम से तुम मुझे ( ऋण मुक्त )कर सकती हो परंतु मैं तो तुम्हारा ऋण ही रहूंगा!
Conclusion उपसंहार
प्यार सही मायने में देखा जाए तो बहुत अच्छा होता है लेकिन अगर इसका गलत होने से बहुत कुछ नुकसान भी होता है!
प्यार में बहुत लोग बहुत कुछ पा लेते हैं और कहीं लोग बहुत कुछ खो भी देते हैं!
इसलिए मोहब्बत में एक दूसरे का साथ और एक दूसरे का भरोसा और..
मुश्किल परिस्थितियों में भी एक दूसरे का साथ देना चाहिए!
मुश्किल परिस्थितियों में भी एक दूसरे का साथ देना चाहिए!
अगर मोहब्बत Love story में सब कुछ अच्छा है तो सब कुछ अच्छा ही होता है अगर कुछ गलत हो जाता है तो,
इसका परिणाम बुरा हो सकता है इसलिए हमें मोहब्बत में एक अच्छा भरोसा हो रिश्ता बनाके रखना चाहिए!
इसका परिणाम बुरा हो सकता है इसलिए हमें मोहब्बत में एक अच्छा भरोसा हो रिश्ता बनाके रखना चाहिए!
आजकल के नौजवानों को श्री कृष्ण के अनमोल विचारों को अपने जीवन में उतारना चाहिए!
और इससे हमें सीखना चाहिए अभी बहुत कुछ बदल भी गया है!