Friendship story

 

 Dosti wala pyar


दोस्तों आज मैं आपको Friendship story सुनाने जा रहा हूं 


 दोस्ती वाला प्यार में वक्त बहुत मुश्किल से कटता है मानो लम्हों को रोक रखा हो किसी ने इतनी देर में कितनी ही ट्रेन है तो आकर जा भी चुकी थी मगर अमित को जहाँ जाना था उसका कुछ भी अता-पता नहीं था अनाउंसमेंट पर कान लगाए वेटिंग रूम में एक बेंच पर बैठे बैठे घबराहट में कभी वह घड़ी देखता तो कभी मोबाइल में रनिंग स्टेटस देखता उसकी ट्रेन के प्लेटफार्म पर पहुंचने में अभी कोई डेट 2 घंटे का लंबा वक्त था इससे अच्छा तो फाइट चला गया होता मोबाइल स्क्रीन पर देखते हुए वह बताया उसके झल्ला हट बढ़ने लगी थी क्योंकि वह शहर से जितनी जल्दी निकल जाना चाहता था उसे उतनी ही देर हो रही थी कई दफा वक्त मूर्तियों में रेत की तरह नहीं रहता चिपक जाता है गुड़ की डली डली की तरह अशरफ भाई क्या उस शहर में उसका जहां कोई अपना दिल तोड़ दे वहां का कुछ अपना कहां रह जाता है


Friendship story


 और हर चीज काटने दौड़ती है सर के सड़कें गाड़ियां बाजार ऑफिस सब कुछ तबीयत ठीक नहीं थी बॉस को यह बता कर एक लंबी छुट्टी का इरादा करके निकला था और चलते चलते रेजिग्नेशन लेटर भी मेल भी मेल कर लिया था अगस्त को शाम बारिश की बौछारें लेकर आई मगर अमित को अच्छी नहीं लगी थी बारिश से बेहद पसंद थी कॉलेज के दिनों में अक्सर वह बाइक लेकर संगम तट की तरफ निकल जाता था और वह किनारे बैठ कर बैठकर गंगा की लहरों पर बारिश की बूंदों की बूंदे संगीत में खो जाता था


Friendship story भूतों का नदी से मिलन का संगीत उसके कानों में उसे अभी बज रहा था कि तभी चाय वाला चायवाला बिल्कुल पास आकर चाय गरम बोला तो अमित से घूरते हुए एक नजर देखा और फिर मोबाइल में आंखें घड़ा दे रहा हो तो कोई भी चीज अच्छी नहीं लगती की, उसके ठीक पीछे वाली उस पर एक लड़की उसके ठीक पीछे वाली बेंच पर बैठ गए पता ही नहीं चला, बाहर खड़ी हुई थी कौन हो सकती है वह लड़की, अपने दिमाग पर जोर डालने लगा लेकिन ट्रेन के इंतजार में कंफ्यूज बना दिया था कि नहीं पाया उलझन सी होने लगी उसका मन हुआ कि वह थोड़ी देर फोन पर घूम आए मगर दो बड़े बड़े बैग लेकर धरना आना मुश्किल था इसलिए बैठा रहा उसने पीछे देखा पर



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वह लड़की बड़े गौर से देख रही हो जिसकी वजह से कंधे और पीठ पर उसके गीले बालों की खुश्बू हवा में बिखर गई थी उसे कुछ देखने के लिए चला जाऊं क्या सोचते हुए हमें तो.. लेकिन वापस बैठ गया अमित ने महसूस किया कि बार-बार एक उसके गाल पर लगाती थी जिससे वह अपनी उंगलियों से कान के पीछे जाकर जब ले जा करती थी तो उसके हाथों की चूड़ियां खनक उठती थी दोबारा घुमा के ही था कि उसकी उस पर वह फिर से ही उस पर वह फिर कानों के पीछे ले जाती हुई पलटी और तुम दोनों ने चौक कर दिया.. एक साथ कॉफी शोफ पर  पुराने दोस्त से अचानक इतना मिलना कितना अच्छा लगता है ना जैसे बरसों से अलमारी में बंद एल्बम हाथ लग जाए जिसमें हमारी पुरानी मुस्कुरा रही होती है हम इतने खूबसूरत तस्वीर उभर आई तो उसकी उलझन कहीं गुम हो गई वहीं आवाज और के दो मित्रों की तरह वही हूं जिन पर हर वक्त कोई ढूंढ ही रहती थी वही चेहरा और उस पर वही कत्थई आंखें जब रहा करते थे वहीं परेशानी और उस पर वही हल्की जिस में न जाने कितने सवाल बचा करते थे बीते 60 सालों में उम्र के उन्होंने उसको ज्यादा नहीं बदला था हां अगर कुछ बदला था तो यह कि उसकी मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र आ गया था




उसकी कलाइयां चूड़ियों से भर गई थी

lovely friends वह अमित के दोस्त का भी इलाहाबाद में एक ही कॉलेज के पास से आकर बैठ गए अमित ने बस इतना ही कहा और दूसरी तरफ देखने लगा मानो वह इसके आगे के सवाल क्यों नहीं कयोंकि मुझसे बचना चाहता था बारिश कुछ तेज हो गई थी और दोनों के मन पर एक नन्ही सी जान गई दोनों की ट्रेनें एक ही थी जिसका अभी कुछ अता-पता नहीं था कुछ धीमी आवाज में जय बोलते हुए चाय वाला वहां से गुजरा तो काव्या ने उसे रोकने के लिए कहा तुम चाहे कब से पीने लगी तुम्हें तो काफी पसंद ही ना हम इतने पूछा तुमको याद है काव्या ने ऐसे पूछा जैसे अमित को सारी पुरानी बातें याद है हां मुझे तो हर बात याद है कॉफी खत्म हो जाने पर कैंटीन वाले भैया को कैसे डांटते थे डांट दी थी तुम फिर मुझे तुम्हारे लिए बाहर से कॉपी लानी पड़ती थी वह मुस्कुराने लगी चाय पीते हुए दोनों को सहज होने लगे थे तुम याद याद है और उसकी आंखें चाहती हो कि और क्या-क्या याद है ना अच्छा नहीं लगा था मुझे कहा कि वह तुम्हें कविता करें कम करें कहा नहीं थी और उसके तारों को ठहर जाती है तो वैसा ही दिखता है खूबसूरत चुके होते हैं कभी आंखों




आंखो में कॉलेज केंपस बन गया था जिसमें चार दोस्तों के साथ मस्ती करता अमित नजर आने लगा क्या दिन थे जब जिंदगी जिंदगी हुआ करती थी और आप की गलियां कितनी अच्छी थी कितना प्यारा friendship story तरफ देखते हुए कहा जवाब दिया और उसकी तरफ देखने लगा अपनी अपनी दुनिया में खुश है ना बहुत अच्छे दोस्त मिले तुम जैसे दोस्त का ख्याल... पाया मुस्कुराते हुए और काका की तरफ पीछे पीछे चली गई ऐसा लगा जैसे खरीदने चला गया हो ही खरीद नहीं होता उसको तो जैसे दोस्तों की उम्र लग जाती है और मौका मिलते ही वह गाता है एक दूसरे की आंखों में काव्य को अमित की बातें याद आने लगी कितना मस्ती करता था और कैसे कॉलेज में दोस्तों की हर छोटी बड़ी समस्या पर कितने प्यारे प्यारे गाली देता था उसने अमित की तरफ नजर भर के देखा अमित को भी महसूस हुआ कि आप काव्या पहले जैसी नहीं लग रही थी उसकी बाकी कहीं खो गई थी और शादी के बाद उसकी कुछ आदतें बदल चुकी थी बारिश हल्की हो गई थी और ट्रेन का इंतजार करते कुछ लोग कुछ लोग घूम रहे थे तो कुछ परेशान थे और बार-बार मोबाइल पर रनिंग स्टेटस देख रहे थे तभी वॉच उठा बज उठा बैंक से उठकर वह कोने में चली गई और कॉल रिसीव करके बात करने लगी



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ने देखा कि बात करते-करते वह कुछ परेशान हो गई थी और उसके चेहरे का रंग उड़ने लगा था बात करके जब वह वापस लौटी तो, उसकी आंखों के किसी कोने में आंसू का एक कतरा उमड़ आया जो कह रहा था कि गुजरा हुआ वक्त खूबसूरत नहीं होता काव्या ने मोबाइल अपने पास में रखा और बेंच पर बैठ गई पानी पिया और डिस्प्ले की तरफ देखने लगी क्या हुआ काव्या सब ठीक तो है ना अमित ने पूछा उसने उदास होते देखकर वह कुछ बेचैन हो गया हां ठीक है मैंने कहा और अपनी दुकानों के पीछे फेंक कर मार निकालने लगी लेकिन आंसू रुमाल का इंतजार करते हैं गालों पर काव्या का रोना अमित को आगे बढ़कर उसके आंसुओं को रोकना... सारे दोस्त नहीं है काव्या ने कहा उसके कहते ही प्लेटफार्म पर एक खामोशी बर्फ की तरह जम गई हुए दिनों के सुख और दुख एक साथ याद आ जाए तो मन बहुत ही मुश्किल में पड़ जाता है कि क्या करें सुखों पर मुस्कुराए या फिर दुखों पर उदास हो जाए क्या करें अमित काव्या की आंखों की नमी महसूस कर रहा था आखिर क्या वजह....? थी




उदास थी क्या था जो उसे  भीतर खाए जा रहा था  friendship story अमित जिस काव्या को जानता था वह दिल और दिमाग से बहुत मजबूत लड़की थी टूट नहीं सकती थी और अब उसके सामने बेंच पर जो काव्या बैठी थी वह कमजोर लग रही थी रो रही थी आंसू कमजोरी की अलामत है और दोस्ती वाला प्यार एक दोस्त की आंखों में कभी आंसू नहीं देख सकता उसका अपना मन दोस्त के लिए कहीं चुपके से रोक देता है अमित की नजर उसकी नम आंखों पर जाट हैरी उसने उसका बैग पर एक किया और बेंच पर बिल्कुल उसके करीब से रखा है सारे दोस्त इसका क्या मतलब के गाल भी भी गए और उसकी ओर देखने लगी उसे कॉलेज के दिनों का दिन याद आ गया ऐसे ही तो पूछता था वह प्यार से जब किसी बात पर नाराज हो जाती थी लेकिन ना चाहते हुए भी सब कुछ बताना पड़ता था उसको नहीं छुपाई चली गई पापा के पापा ने अपने दोस्त के बेटे से उसके रिश्ते की बात की थी मना करने की कोई वजह नहीं थी लेकिन कुछ दिन




उसे मालूम हुआ कि उसके पति को किसी और से प्यार था और काव्य से शादी तो उसने अपने पिता के दबाव में आकर की थी छोटी छोटी छोटी-छोटी बातों को लेकर आए दिन बढ़ने लगा कुछ दिन तो तो किसी तरह बर्दाश्त किया लेकिन कब तक करती ऐसे रिश्ते का बोझ नहीं उठाना चाह रही थी जिसमें प्यार कभी था ही नहीं शादी के रिश्ते में सब कुछ मिल जाए friendship story लेकिन अगर प्यार मिल जाए ना बहुत बहुत मुश्किल हो जाता है प्यार ही तो नहीं मिला था उससे और बात तलाक तक आ पहुंची थी कल कोर्ट में उसी की है रिंग थी तो वह तुम्हारे हस्बैंड ने कॉल किया था अभी अमित ने पूछा हम इतने पूछा कहकर काव्य का व्यास ने लगी बाहर बारिश थम गई थी और भीतर अमित का दिल भीगने लगा भी कितना चाहता था लेकिन उस वक्त करो उसे चुप हो गया उस वक्त हो गया इतना आसान नहीं होता सब ठीक हो जाना जाती है और तब पढ़ लिया क्या हुआ देखते हुए बोला आ जाए तो कहीं और देखने लगती है और कुछ कहते नहीं बनता काव्या ने अमित की हथेली पर अपनी हथेली रखती कह दो हमें है तो हमें तकलीफ कम हो जाए बस इतना ही कहा और उसकी आंखों में देखने लगा अपनी आंखों में बरसों बाद में दो दोस्तों के दुख आपस में घूमने


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थे जी त ना ही जितना ही खूबसूरत होता है अलगाव उतना ही तकलीफ दे दिल के साथ कितनी उम्मीदें टूट जाती हैं है कितने ही सपने बिखर जाते हैं अमित को बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि निशा इस तरह उसकी जिंदगी से दूर चली जाएगी अचानक यह कहकर कि उसके पापा इस रिश्ते के लिए राजी नहीं है निशाने अमित को कुछ कहने का एक मौका भी नहीं दिया था इसलिए वह टूट गया था और हर चीज से दूर भागने लगा था मैंने इतना प्यार करता था कि उसके बिना एक पल का जीना मुश्किल था अमित ने कहा उसकी हथेली काव्या की हथेलियों में बनती बंद थी उसका नाम था काव्या ने धीरे से कहा मुझे समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूं उसके पापा कैसे आ गए नहीं मुझे लगता है कि पापा से सहाना थे वह दूर हो रही थी मुझसे हो गया कह दिया अपनों में उसकी तकलीफ महसूस करती रही तो तुम छुट्टी लेकर शहर से दूर भाग रहे हो अमित ने कोई जवाब नहीं दिया उसकी तरफ देखता रहा अमित को याद हो आया या कॉलेज में अक्सर का भी ऐसे ही पूछती थी पढ़ना तुम्हें तो क्लास बंद करके कैंपस में जाकर मस्ती काटनी है ना कॉलेज फ्रेंड्स के साथ Friendship story  उनका कॉलेज हमेशा एक




की तरह होता है जो बात बात पर याद दिलाता है कि कौन कैसा था कुछ देर तक दोनों खामोश रहे काव्य डिस्प्ले पर देखने लगी कुछ ही देर में उनकी ट्रेन प्लेटफार्म पर आने वाली थी काव्य ने खामोशी तोड़ते हुए कहा वो कहते हैं ना कि जो अपना होगा वह लौट आएगा जो ना लौटे तो समझना कि वह कभी अपना था ही नहीं काव्या का समझाना अमित को अच्छा लगा हिम्मत देने वाला कोई मिल जाए तो हिजिकी तकलीफ भी राहत देने लगती है और तुम्हारी जॉब काव्य को अब दूसरी चक्र होने लगी तभी तो घर जाना है फिर सोचेंगे अमित ने कहा तभी प्लेटफार्म पर रुकी दोनों ने अपना सामान उठाया और ट्रेन की तरफ बढ़ गए हमें तो अपनों की के सामने रुक गया मैंने पूछा दूसरी दूसरी तरफ देखने लगी और फिर गेट पर खड़े होकर अपना दायां हाथ का की तरफ बढ़ा दिया काव्या ने बिना देर किए अमित कहां कहा था और ट्रेन में चढ़ गई ी में तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही थी और पीछे छूटता जा रहा था सब सो रहे थे लेकिन अमित अमिताभ की आंखों में नींद नहीं थी वह ठीक तो है ना



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दे देकर बस मुस्कुरा दिया कर दोनों की निगाहें मिलती थी और दोनों जरा जरा सा मुस्कुरा देते मरहम जैसी मुस्कुराहट है इतने साल कितनी तेजी से गुजर गए ना  friendship story काव्या ने कहा कि कोई और हमारे हाथ में होती तो हम उसको खींच लाते हैं अच्छे दिन थे ना वह वो और काव्या की तरफ देखने लगा और और कॉलेज के बाद में मिलते रहना खिड़की के बाहर आते हुए कहा पता नहीं क्यों नहीं मिले अमित की आवाज से जरा कि आवाज़ अफसोस पता नहीं क्यों नहीं मिले अमित की आवाज से जरा साफ तो थोड़ी सी तकलीफ है सुबह के 6:30 बज रहे थे जब ट्रेन इलाहाबाद जंक्शन पर आ खड़ी हुई ल घिरे हुए घिरे हुए थे और कुछ अंधेरा भी था मगर दो दिलों में एक मूर्ख फूट रहा था हवा बेहद खुशगवार थी और कहीं दूर से चाय की भीनी भीनी खुशबू आ रही थी तुम जॉब मत छोड़ना उस दिन छुट्टी मनाकर वापस चले जाना बाहर जाने की सीढ़ियां उतरते हुए काव्या कह रही थी या नहीं छोडूंगा पर भी होने वाला है कितना परेशान था हर चीज से दूर भाग राठौर रहा था और न जाने क्या-क्या सोच रहा था तुम मुझको मिल गई जा रहा था जैसे जैसे हर बात का कहनी थी हां जल्दी थी खत्म हो जाता है तो लगता है अभी कितनी बातें बाकी रह गई है चलते चलते सब कह देनी चाहिए तुम क्या करोगी अमित ने पूछा



पूछा अमित के मन में बेचैनी आ गई थी कि काव्या का क्या होगा Friendship story उसमें जाएगी गाना बहुत अच्छी तरह से अपनी तरह से पहले जैसी एकदम मस्त ने उसके कंधे से अपना कंधा टकराते हुए कहा और फिर पूछा चाय पियोगे तो काव्या ने झट से हामी भर दी अमित महसूस किया कि काव्य काव्या काव्या नहीं थी जो कि एक बेंच पर बैठी थी अब तो कॉलेज वाली काव्या काव्या काव्या उसके साथी फिर से कभी देखा के पुराना अमित वापस लौट आया था उदासी भरे लम्हे में जाना कितना अच्छा होता है कोई ताकत मिल गई हो थैंक यू जाने के लिए काव्या ने कहा उसकी आंखों में चमक है भी सुख भी जा रहा था कहां पहुंच गया क्योंकि तुम मिल गई गए हम इतने लाड से कहा तो काव्या मुस्कुरा दे दी तभी बादलों से सूरज की किरने भी गले से लगा लिया हम दोनों में दोनों की आंखों में के कोनों में कराया में प्यार का खतरा दोस्ती वाले प्यार का नाजुक प्यार..







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