True love story



आज मैं आपको सच्ची True love story सुनाने जा रहा हूँ


पहर हमेशा से लंबी लगती हैं जैसे दिनेश पहर में आकर रुकी गया हो और उसकी चुप्पी जैसे बियाबान में कोई भी एक एकदम शांति एक दम शांत थी मैंने पढ़ा जा रहा पन्ना मोड़कर किताब बन की और मेज पर रख दी आज इतवार था मैंने वह दिन जिस का सब लोग पूरे हफ्ते बेसब्री से इंतजार करते हैं किसी का मूवी का प्लान बनता है और किसी का लॉन्ग ड्राइव का लेकिन मैं मेरे लिए यह सबसे लंबा और बोझिल दिन होता है कोशिश करती हूं कि आज के लिए भी ऑफिस का काम अपने साथ समय क्लॉक लैपटॉप स्क्रीन में नजरें गड़ाए दिन बता दो पर आज तो काम भी कब का खत्म हो चुका था मैं उठकर रसोई में आ गई गैस पर चाय चढ़ाई और एक एकटक देखती रहे


True love story



को उसमें अपना वजूद खोती चाय की पत्तियों को हवा में घुलती के उस तरफ से कबूतर बैठा था एकदम कम गुमसुम मेरी तरह मुझे अपना ख्याल से कोई अपने हर किसी में अपना अक्स क्यों तलाशने लगता है क्यों पड़ती है मैंने कप में चाय और कहीं और चली आई मीन बड़ा ही था कि फोन उठा विराट की थी मैंने उठा उठाकर देखा सीधा बोलो मैंने पूछा मैं थोड़ा बिजी हूं


 और फिर भी मैं घर में ही रहना चाहती थी ना किसी से बाहर निकलने का ख्याल भी मुझको परेशान कर देता है वह बोल पड़ा हो चुकी है होगी शाम का इंतजार कर रहा था मेरे लिए भी मुस्कुरा देती थी मैंने पूछा ऑफिस का खत्म गया, हाँ ,मैं उसके उंगलियों को स्पर्श करता था स्पर्श से कुल बुला उठी थी मैं मुझे अचानक क्या हुआ मैं, नहीं जानती मैंने झटक दिया ऊपर हाथ लगाने दो ना आराम मिलेगा, कोई जरूरत नहीं है आई एम फाइन मैंने उसे झटक दिया मेरे माथे पर चंदन आहट हो रही थी जाने बाम की वजह से या उसके स्पर्श से अच्छा बाबा सॉरी रिलैक्स चलाता हूं तुम्हारे लिए मेरी इतनी बेरुखी के बाद भी कितनी शक्कर थी उसे तो क्या सच था वह जो मैं अक्सर उसकी आंखों में अपने लिए देखती हूं उसकी हर बात


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महसूस करती हूं मेरे इन सवालों का जवाब भी मुझे जल्द ही मिल गया और शुक्रवार की शाम थी विराज मुझे जॉब करने घर तक आया था मैं गाड़ी से उतरने लगी तो उसने मेरा हाथ थामा कब से कह ना मैं कब से कहना चाहता हूं तुमसे फिर डर जाता हूं हसकर उसने कहा बस करो हम हमेशा दोस्त रहेंगे मैं कुछ नहीं बोली, देखती रही उसका बुरा ऐसे चेहरे को उसके कांपते होंठों को  देखता, तुम से आई लव वह अपनी बात पूरी कर पाता कि इससे पहले ही मैं बोल पड़ी मुझे देर हो रही है कल मिलते हैं मैं उसके हाथ से अपना हाथ छुड़ाकर गाड़ी से उतर गए कदमों से अपने घर की तरफ बढ़ते हुए मैं महसूस कर रही थी उसकी नजरों का मेरी पीठ पर गए हो ना आज मेरे लिए बेशुमार प्यार था और जिन से मैं भाग जाना चाहती थी दूर बहुत दूर नहीं चाहती कि जिंदगी को एक मौका और दो अतीत को दोहराने का मौका की बात की बात को अनसुना करके दूर चली आई थी पर मन को




भी नहीं था कमरे में अंधेरा किए बैठी थी मैं मुझे वह सारी बातें याद आ रही थी जिन्हें मैं भुला देना चाहती थी 2 साल पहले कबका वाहन में ताजा होने लगा था True love story उन्हीं दिनों में पूरा हुआ था और मुझे अपने ही शहर में नौकरी मिल गई थी वह चाहती थी कि आप शादी कर लो मैंने भी उनकी दिनों दिन बढ़ती रट के आगे घुटने टेक दिए थे कुछ दिन बाद कोई दूर का रिश्तेदार मेरे लिए अनंत का रिश्ता लेकर आया मैं हां कहने से पहले अनंत को अच्छे से जान लेना चाहती थी पूरी तरह समझ लेना चाहती थी पूरी तरह घर दिखाने के बहाने पहली बार जब से अकेले में बात हुई तो मैंने एक के बाद एक कई सवाल पूछे थे उससे जॉब के अलावा पसंद है उसके अलावा और भी बहुत कुछ...?  जानना चाहती थी साथ वक्त बिता कर यही कहा था उसने उसकी गहरी आंखों के अलावा यही बात थी जो मेरे दिल में उतर गई थी उस दिन के बाद भी हम कई बार मिले अच्छा लगता था मुझे उसका साथ मेरा ख्याल रखना मेरी पसंद नापसंद की कद्र करना सबको महीने बाद हम दोनों नहीं घर पर एक दूसरे के लिए हां कह दी,तो सगाई हुई और 6 महीने बाद



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तारीख को शादी का फैसला भी उसने पूछा था मुझसे मैंने कहा तो वह तुरंत बोला मैं देखकर उसने पूछा क्या सोचने लगी है वह बात नहीं घर पर क्या बीच में ही रोक दिया था तो आता है ना भरोसा भरोसा जो आता है ना चली गई थी भरोसा भरोसा कभी नहीं भूल सकता था रात हो गई थी मैं वापस लौट आई थी मेरे होठों पर दी थी कहा था एकदम इस बात का जिक्र किसी से मत करना एक बार शादी हो जाएगी तो सब ठीक हो जाएगा तू भी भूल जाएगी बेटा पुलिस केस करना तो दूर मैं उनको इतनी सी बात मुश्किल से समझा पाई थी शादी नहीं कर सकती और शादी के बाद भी कुछ नहीं बदलेगा नहीं बन सकती ऐसे रिश्ते में जिसमें मेरी सहमति मेरी मर्जी कोई मायने नहीं रखती सुबह आंख लगी सुबह भी जल्दी ही उठ गए अजीब सा मन आपन तारी था true love story मुझ पर मैंने अपने स्पोर्ट्स शूज पहने और कानों पर हेडफोन लगाकर जोगिंग के लिए निकल गए दौड़ती रहे हो तेजू दूर तक जब तक कि थक कर चूर ना हो गई गए ऑफिस जाने का बिल्कुल मन नहीं था सच कहूं तो विराज का सामना नहीं करना चाहती थी मैंने 4 दिन की लीव एप्लीकेशन मेल कर दी इन 4 दिनों में विराट की




कॉल जाए जो मैंने नहीं उठाई कितने मैसेज आए जिनका मैंने कोई जवाब नहीं था शाम को मैं अकेली बैठी थी तभी डोर बेल को तो देखा तो फिर आज था आस्था ऑफिस नहीं आ रही हो...? अंदर चला आया वहीं सोफे पर बैठ चाय पी रही थी मैं दरवाजा बंद करके उसके सामने वाले सोफे पर बैठ गई उसने नाम है गर्दन हिला दी कियों नहीं ऑफिस क्यों नहीं, मैंने हैरानी से उसकी तरफ देखा, भाग रही हो ना हो ना सामना नहीं करना चाहती मेरा, अरे अरे हा हा.. जवाब तो दो मेरी बात का उसने फिर पूछा विराजम दोस्ती अच्छे हैं सिर्फ दोस्त मैं हां नहीं कह सकती तुम्हें मैंने कहा जरा रुक कर बोला, कह सकती नहीं या कहना चाहती नहीं विराज हमारी पसंद है सिर्फ इतना कह पाए मुझे तो नहीं लगता, मैं चुपचाप उसकी तरफ देखते रहे झूठ बोलना आता है ना तुम्हें फिर कैसे लगा बताओ तो सही आ आखिर ऐसी कौन सी बात है जो कोई बात है कुुुछ तो जरूर है रो रही है आज क्या फैसला है.. नहीं हो सकता, मैं कहते कहते रुक गई मेरी बात सुनकर उसकी आंखें नम सा हो गई, मुझे उसे खो देने का कितना डर था पर मुझे short true love stories



देखना था यह सब नहीं पड़ने देना था खुद को कमजोर याद दिला रही थी चाह रहा था कि मान जाओ उसके बाद उसकी कहीं हर बात पर भरोसा कर लूँ, लेकिन कब तक कर पाऊंगी उसके प्यार के बदले में मैं उसे कुछ दे भी पाऊंगी और ना ही मुझे खुद पर भरोसा नहीं होता कितना अच्छा कितना छोटा है ना मेरा यह विश्वास जानती हूं पर यह मैंने नहीं सुना है यह जिंदगी ने दिया है मुझे एक बेहद क्रूर तरीके से सिखाया है कि सॉन्ग देना लाचार बन जाना है एकदम बेसहारा और यह मौका नहीं दे सकती मैं ना मैंने उसे अपने से कहने को कहा, मगर बांटे नहीं अपने अपने डर अपनी-अपनी उदासियां हमें खुद ही जीनी पड़ती है पर इस अब आसान हो जाता है जब कोई दिल में ढेर सारी फिक्र फिर से ढेर सारा प्यार लिए साथ खड़ा हो बीते महीनों में विराट का होना बिल्कुल ऐसा ही तो बन गया था मेरे लिए मैं ऑफिस से



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घर से निकलती तो वह मुझे बाहर इंतजार करता हुआ मिलता लौटते वक्त भी ऐसा ही होता रास्ते भर उसकी बातें नहीं होती थी बातों बातों में वह मुझसे कहता रहता ना रुकने नहीं चाहिए तो बिल्कुल नहीं तो तुम जाना चाहती हो..? ना हमेशा बहती हुई सब कुछ पीछे छोड़ती हुई नदी किनारे उसके इंतजार में है मैं चुपचाप सुनती रहती true love story उसके बाद मन के अंधेरे को टटोलने लगती वक्त से छुपा कर रखा था मैंने झांक कर देखना चाहती की रोशनी का कोई खतरा वहां तक पहुंचा या नहीं महसूस करना चाहती थी उस रोशनी की गर्माहट अपने भीतर क्या सोचने लगी वह मुझे चुप देख कर पूछ लेता कुछ नहीं मैं कहती तो होली से मेरी नाक पर उंगली खाकर कहता जानता हूं मेरे बारे में सोच रही हो... मुस्कुराहटे तलाश रही थी मेरा पता आजकल मेरा कोई भी गुमसुम नहीं गुजरता था हम बहुत सारा समय एक साथ बिताते हैं एक भी महसूस करने लगी थी मैं उसके साथ सीमाओं के लाने का डर उसने मुझे कभी महसूस नहीं होने दिया था आज सोमवार था हमने भी किया था पर आज ऑफिस नहीं आया था फिर आज विराज कंपनी



किसी जरूरी प्रेजेंटेशन के लिए उसको शहर से बाहर भेजा गया था पूरे 1 हफ्ते के लिए सूना सूना सा लगता है उसके बिना मैं अपने हाल पर ठीक की कि खुद को ठोका भी पर थोड़ा सा आज छोड़ दिया हो तो अपने मन को आज भी राज और मैं पूरे 1 हफ्ते बाद मिले थे वह मुझे देखते ही बोल पड़ा मुझे तो नहीं किया ज्यादा नहीं बिल्कुल भी नहीं मैंने कहा एक पल के लिए उसका चेहरा फीका पड़ गया मैंने मुस्कुराकर उसकी नाक पर उंगली जैसे वह किया करता था फिर कब जाओगे तुम मेरे लिए मुस्कुराहटें जोड़ता चेहरा मेरे सामने था मैं बताना चाहती थी उसको किस किया विराट बहुत सारा मिस किया तुम्हें तुम नहीं थे तो लगा जैसे मैं एकदम अकेली छूट गई हूं और तुम्हारी मौजूदगी कितनी खूबसूरत है यह महसूस करने के लिए जरूरी था तुम हमेशा रहोगे ना मेरे साथ मैंने पूछा तो विराज मुस्कुरा कर बोला हमेशा true love story मैंने उसकी उंगलियों में अपनी यह साली जाने को कहूंगी तब भी उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला कभी नहीं छोडूंगा!!







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