Prem kahani 


      प्यार की ये एक कहानी


दोस्तों मैं आप को सुनाने जा रहा हूं एक Prem kahani उस कहानी का नाम है Love notes संकिते आवाज सुबह की सिली हवा में दूर-दूर तक फैल रही थी मैं दौड़ता हुआ घाट की सीढ़ियों से उतरता हुआ सामने बहती नदी के किनारे तक पहुंच गया घुटनों पर बैठकर मैंने नर्मदा का पानी अपनी हथेली की कटोरी बनाकर भर लिया भर लिया एकदम कंचन पानी मेरे हाथ की एक एक लकीर साफ दिखाई दे रही थी मैंने कुछ बूंदें चेहरे पर छिपकली और बाकी का पानी हवा में उछाल दिया और पास ही बनी अपनी दुकान के शटर खोलने लगा 6:00 बज गए थे मंदिर के पट खुलते ही भक्तों का आना शुरू हो जाएगा दुकान सुबह शाम की आरती के समय ही तो चलती थी जब घंटी और शंख की आवाज पर आसपास के लोग दौड़े चले आते मैंने मंडी से लाए फूलों को तेज हां चलाते हुए दुकान में जमाना शुरू कर सुलझा कर लटका दी अलग-अलग भाई अलग अलग अलग से खरीद ले जाते हैं फूलों के ढेर लगा दिए विरासत में मिली है यही बैठना मुझे बचपन था

Prem kahani


पूजा के फूल और किताबें मेरी जिंदगी बन गए 


पापा मंदिर में पंडित कहते रहे तो बचपन के करीब रह कर रहकर धार्मिक किताबें उसके बाद अपनी पसंद की और किताबें पढ़ने की लत लग गई थी महीने के आखिर में पापा मेरे हिस्से के पैसे हथेली पर देते थे मेरी पॉकेट मनी और मैं उसी वक्त सदर बाजार की किताबों की दुकान पर पहुंच जाता किताबों के पन्ने जैसे मेरी पीठ पर होगे पंख थे prem kahani निर्मल वर्मा की कहानियां मुझे प्राग पहुंचा देती और तक ले जा ती ले जाती मैं सोचता रहता कि कैसा होता होगा


समंदर उसका कारण खारा पहाड़ों पर जमी बर्फ को छूने का एहसास मुझे मत कर देता दुकान में फूलों की महक के बीच की कहानियां पढ़ते हुए मैं प्रेम के रंग से रूबरू हो जाता और क्या चाहिए था एक देश के नौजवान को शुरू में बहुत नाराज होते थे मंत्र जाप करने वाले शांत पंडित का चोला उतार के वह कहते थे ने जो दुख झेला उसकी खानापूर्ति कभी हो पाएगी फूलों के साथ लिखे जाने वाले नोट्स में अपनी डायरी में दर्ज करता रहता उन हिंदी रातों को कभी कभी चुपके से ख्वाब देख लेता हूं कि वह नोट शायद कभी भावनाओं का एक अनमोल दस्तावेज़ बन जाए 



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एक रात दुकान बंद करने ही जा रहा था कि सामने एक लंबी विदेशी कार आकर रुकी शानदार काला सूट पहने एक ऊंचे पूरे सज्जन दाखिल हुए दुकान उनके विदेशी परफ्यूम की महक से भर गई मैंने मुस्कुरा कर स्वागत किया मेरे भीतर छुपे दुकानदार को एक बहुत महंगे गुलदस्ते की बिक्री का लालच हुआ है वह आदमी पूरी दुकान का मुआयना करता रहा लिए और काम के सिलसिले में गए हैं तो ऐसे कौन भेजता है फूल शायद नई नई शादी हो ऐसे कई सवाल जवाब मेरे मन में गाहे-बगाहे आते रहते जिन्हें में परिसर का देता मैं तैयार होकर घर से अपनी बाइक पर निकल पड़ा दुकान खोलते ही खुलते ही सबसे पहले मैसेज चतुर्वेदी का बुके तैयार होना था आज क्या भेजूं मैं सोचता रहा जितने फूल थे उतने ही रंग अब मुझे क्या पता उनको क्या पसंद है Prem kahani काश हो यह भी बता देते तो मुझको आसानी हो जाती या उनकी पत्नी खुद बता देती मैसेज चतुर्वेदी खुद अपनी ही सोच पर हैरान था उनका नंबर तो है मेरे पास कभी पूछूं क्या नहीं अच्छा नहीं लगेगा तो मेरा मन






परेशान किया हो ना मेरे लिए यह जरूरी है कि हर महीने गुलदस्ता की कीमत मेरे अकाउंट में बराबर जमा हो जाती है बस दुकान पहुंच कर कुछ देर 

 कुछ गुच्छा बनाया सर्दियों में चटख लाल रंग अच्छा लग रहा था फिर से एक छोटा सा कार्ड उठाया जिस पर समंदर के किनारे की एक बस्ती की तस्वीर थी मैंने कहा कि अभी तक 3 पन्नों पर नीली स्याही से लिख गया वह शेर जो सुबह-सुबह चतुर्वेदी जी ने भेजा था ऐसे ही कोई 3 महीने गुजर गए चुका था बल्कि 10 बीच में किसी एक दिन उन्होंने खास बड़ा गुलदस्ता भेजने का मैसेज किया था जिसमें जन्मदिन की शुभकामनाएं थे चतुर्वेदी का जन्म अपनी दुकान से न जाने कितने फूल और यहां वहां भेजता था लेकिन यह चतुर्वेदी जी मेरे में कहीं अटक गए थे फूल भेजते हुए यह चौथा महीना था महीने का पहला गुलदस्ता भेजने का दिन आया prem kahani लेकिन चतुर्वेदी जी का कोई नहीं आया मैंने उनको मैसेज किया लेकिन मैसेज डिलीवर रहा मैं इंतजार करता रहा 12 और मैसेज किए गुलदस्ता




लगा लव स्टोरी 2021 मैंने मैंने सफेद रजनीगंधा चुने अब तक सिर्फ भेजे थे तो अब अब भेज रहा था मैंने कार्ड उठाया ऊपर हमेशा की तरह लिखा दिया भाई ऐसे ही भेज दूं फिर पता नहीं किस दिन में मैंने एक शेर पाला पाला कुछ खटकता तो है पहलू में रह रह कर मेरे रह-रहकर खुदा जाने तेरी याद है या दिल मेरा जिगर मुरादाबादी का शेर था मेरा फेवरेट उस दिन न जाने क्यों मैं डिलीवरी ब्वॉय के लौटने का इंतजार कर रहा था वह आया तो मैंने पूछा वह मोहतरमा फूल देखकर खुश तो हो ना डिलीवरी बोला में बोलने से पहले नोट पड़ती है मुस्कुरा के मुस्कुराता चेहरा कितना मुस्कुराए होंगी है है या नहीं होता होती रहती है बस रोशनी की दिशा में चलने लगते हैं सुख में थोड़ा इजाफा हो जाता है बस कुछ ऐसे ही दौर से शायद मैं भी गुजर रहा था अगला गुलदस्ता भेजने की तारीफ तारीख आए तब भी चतुर्वेदी जी का कोई नोट नहीं आया मैं थोड़ा उलझन में पड़ गया दिल तो बड़ा चाह रहा था कि कुछ भेजो जो अब तक पढ़े हर छोटे-बड़े शहर के कलाम याद आ रहे थे लेकिन थोड़ा हिंदी में नोट्स आने की वजह नहीं जानता था क्या पता दोनों में कुछ झगड़ा हुआ हो



Prem kahani हिंदी में लव स्टोरी




 चतुर्वेदी जी नोट भेजना बंद करके अपनी पत्नी तक कोई संदेश भेजना चाहते हो इतना कुछ तो था जो मुझको पता नहीं था कि तारीख को हर उलझन को


पढ़कर मैंने देना रंगीला का बड़ा सा बनाया और उसकी लंबी डंडियों को सुनहरे सहेज दिया की मैं देर तक सोचता रहा कि क्या लिखूं कोई रूठ रूठने मनाने वाली बात लिख दूं क्या नहीं ऐसे ही अपनी मर्जी से देता हूं सिर्फ चतुर्वेदी जी ने भेज देता हूं तो है मेरी तो है मेरी थोड़ी देर में डिलीवरी दुकान का नाम खुशबू है हवाओं में बिखर जाएगा फूल बिखर जाएगा फूल कागज पर लिखा से भी बंद कर दिया में कहां सब्र होता मैं लड़कों से पूछता दे दिया फूल क्यों उन्हीं को दिया किसी और को मैसेज चतुर्वेदी कुछ बोलने फूल पसंद तो है ना लड़की हां ना में जवाब दे देते मेरा मन करता कि पूछो पूछो कि वह साड़ी पहना करती हैं और और और बाल बाल खुले होते हैं या जुड़े में लिपटे कैसी रंगत है उनकी गेहूं और मुस्कुराती कैसा है उनका एक दूसरे पर जरा सा चढ़ा हुआ है मुझे एहसास हुआ कि Prem kahani अनचाहे ही मेरे अवचेतन में मेरे सब सबकॉन्शियस माइंड में वह एक जगह बना चुकी थी और आखिरी दिन में डिलीवर करने का फैसला किया कोई वादा नहीं कोई यकीन नहीं किसी बात की उम्मीद भी नहीं फिर नहीं जानता था यह क्या था जो मैं आज डिलीवरी ब्वॉय बंद कर जाने को तैयार था अपने घर के आईने




सामने खड़ा मैं अपना अक्स देख रहा कुरा दिया मैंने अपनी दुकान तक चला गया वहीं मंदिर के पास नर्मदा के किनारे यहां तक पहुंचाया नदी का पानी हमेशा फूलों को तरोताजा रखा रखने रखने का दिल चाह घंटे में थोड़ी थी आज कुछ खास तैयार करता हूं चारों तरफ नजर दौड़ाई फूल  क्या छोड़ो छोड़ूं के फूलों का गुलदस्ता नोट की नोट की शेर लिखा हो जाए मेरी से बने से बने दरवाजे के सामने खड़ा था 1 मिनट बाद दरवाजा खोला और मेरे सामने मैसेज चतुर्वेदी खड़ी थी उन्हें कभी देखा नहीं था लेकिन वही है जो कि बिल्कुल नहीं थी मैंने कहा तो कहा थे का नाम काट दिया और एक नया गुलदस्ता बनाने में मशगूल हो इतनी सी थी कहानी कहानी





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