Radha krishna - राधा कृष्णा 


Radha krishna हम  जब कभी भी नाम लेते हैं तो कहते हैं राधा -कृष्ण कभी भी राधा और श्रीकृष्ण नहीं कहते!

कारण यह है कि राधा कृष्ण अलग अलग नहीं है  बल्कि एक माने जाते हैं  क्योंकि इनका प्यार  दो शरीर होते हुए भी  एक आत्मा थे!

श्री कृष्ण ने कहीं बार इस बात को एहसास कराया है!

एक बार श्री कृष्ण  स्वयं  राधा बन जाते हैं तो कभी राधा का मुंह दूध से जल जाता है तो श्रीकृष्ण को फफोले आ जाते हैं!

राधा और कृष्ण की संपूर्ण प्रेम कहानी जिसे पढ़ने के बाद आप यह  आप यह जान पाएंगे कि  राधा और कृष्ण के बीच  कैसा अद्भुत प्रेम था!


    Radha krishna love राधा कृष्ण की प्रेम



    ये सभी जानते हैं कि कृष्ण का बचपन वृंदावन की गलियों में बिता!

    Radha krishna


    नटखट नंदलाल little krishna अपनी लीलाओं से सभी को प्रसन्न करते, लेकिन कुछ को परेशान भी करतें  परंतु कृष्ण के साथ ही तो वृंदावन में खुशियां थी!

    बड़े होकर कृष्ण ने अपनी बांसुरी के मधुर ध्वनि से अनेकों गोपियों का दिल जीता..

    लेकिन सबसे अधिक यदि कोई उनकी बांसुरी से मोहित होता, तो वह थी 💃 राधा!

    परंतु राधा से कहीं अधिक स्वयं कृष्ण राधा के दीवाने थे!

    क्या आप जानते हैं कि radha krishna राधा कृष्ण से 5 वर्ष बड़ी थी वृंदावन से कुछ ही दूर रिपल्ली नामक गांव में रहती थी!

    लेकिन रोजाना कृष्ण के मधुर बांसुरी की आवाज से खींची चली राधा वृंदावन पहुंच जाती थी कृष्ण भी राधा से मिलने जाते!

    जब भी कृष्ण लीला बांसुरी बजाते, तो सभी गोपियां उनके आसपास एकत्रित हो जाते..!

    उस मधुर संगीत को सुनते हुए सभी मग्न हो जाते!

    परंतु इसी का फायदा पाकर कहीं बार कृष्ण चुपके से वहां से निकल जाते और राधा से मिलने उनके गांव पहुंच जाते!

    कृष्ण  की नटखट और उनकी krishna leela लीलाएं वृंदावन में मशहूर है!

    लेकिन यहां वृंदावन में ही नहीं बल्कि आसपास पूरे इलाके में मशहूर हुए!

    ऐसा शायद ही कोई होगा जो राधाकृष्ण के बारे में ना जानते हो!

    जब भी कृष्ण बांसुरी बजाते राधा बांसुरी का मधुर ध्वनि सुनते ही अपने आप को रोक नहीं पाती..

    राधा कृष्ण की ओर आकर्षित होती चली जाती कृष्ण की बांसुरी राधा की एक ऐसी  मधुर ध्वनि, खुशी जैसे कोई इंसान मर के भी उठ जाता हो!

    जब भी कृष्ण की मधुर ध्वनि बांसुरी बजती.... radha राधा कृष्ण को ढूंढते हुए कृष्ण तक पहुंच जाती है! इस पल को radha krishna serial में बहुत ही अच्छे से दिखाया गया है

    इस बांसुरी के दीवाने सिर्फ राधा ही नहीं बल्कि वृंदावन में रहने वाली गोपियां भी उसकी दीवानी हो गई!


    Krishna story के  कुछ मनोदशा Radha krishna love story in hindi


    कृष्णा वृंदावन की वो खुशी है जो कृष्ण के बिना वृंदावन सुना सुना हो जाता है कृष्ण के बिना गोपियां  तरसते रहती है!

    यहां तक कि गोपियां कृष्ण को अपना पति मान चुकी थी!




    लेकिन धीरे-धीरे वह समय निकट आ रहा था जब कृष्ण को वृंदावन छोड़ मथुरा जाना था, krishna story.

    मामा कंस ने उन्हें और उनके भ्राता बलराम को मथुरा आमंत्रित किया था!

    यह तब की बात थी जब कृष्ण के दुष्ट मामा कंस ने उन्हें और उनके भ्राता बलराम को मथुरा आमंत्रित किया था!

    तब कृष्ण को कंस द्वारा कहे गए आदेश पर कृष्ण को गोकुल से मथुरा जाना पड़ा... 

    यह बात पूरी वृंदावन नगरी में फैल गई सभी के भीतर एक डर पैदा हो गया मानो उनकी कोई चीज उनसे दूर जाने वाली हो!

    वृंदावन में शोक का माहौल चला इधर कान्हा के घर में मां यशोदा तो परेशान थी ही लेकिन कृष्ण की गोपियां भी कुछ कम उदास नहीं थी!

    इधर radha krishna के प्रति प्रेम मगन कृष्ण से दूर होने की डर सताने लगी!

    दोनों को लेने के लिए कंस द्वारा रथ भेजा गया..

    जिसके आते ही सभी ने रथ के चारों ओर घेरा बना लिया यह सोच की कृष्ण को यहां से जाने नहीं देंगे!

    तब कृष्ण के गोकुल से मथुरा जाने के वक्त कृष्ण के प्रति प्रेम गोपियां रो पड़ी!

     उधर कृष्ण को राधा की चिंता सताने लगी!

    लेकिन कृष्ण को गोकुल से मथुरा जाने से पहले राधा 💃 से मिलने की बड़ी अभिलाषा.. थी इसलिए कृष्ण राधा से मिलने जाते हैं!

    कृष्ण कहते हैं कि राधे हम दो शरीर होते हुए भी हम एक हैं!

    Radha krishna love का "यह ऐसा बंधन है जो हमें कोई अलग नहीं कर सकता और हम अलग नहीं हो सकते!


    Krishna and radha ki breakup राधा कृष्णा की जुदाई


    कृष्ण राधा को भरोसा दिलाते हुए कहता है...

    राधे तुम जब भी मुझे याद करो मैं तुम्हारे सामने प्रकट हो जाऊंगा!

    Radha krishna "राधा कृष्ण को गोकुल से जाने को मना किया लेकिन यह तो विधि के विधान है जो कृष्ण को जाना ही था...

    राधा कृष्ण को वादा करने को कहती, कि तुम मुझे छोड़कर नहीं जाओगे..

    कृष्ण वचन देता है कि मैं तुम्हें छोड़कर नहीं जाऊंगा लेकिन भगवान ब्रह्म और सभी देवताओं ने देवी राधा से विनती करते हैं..

    हम आपके पुत्र हैं माता हमारी विनती स्वीकार कीजिए कृष्ण को जाने के लिए आज्ञा दें!

    क्योंकि krishna and radha कृष्ण का जन्म इसी मकसद से हुआ है इस धरती पर जहां पर भी अपराध होगी, यदि कोई अधर्म राह पर चले, उसका विनाश करना..

    सभी देवताओं ने राधा से निवेदन करते हैं तब राधा मान जाती है..

    तब राधा कृष्ण को जाने के लिए आज्ञा देती है!

    लेकिन राधाकृष्ण से कहती है कुछ मांगूँ...

    Radha krishna में "कृष्ण कहता है मांगो...

    जाने से पहले मुझे दो वचन देकर जाओ!

    (1) पहला- आप मेरे केवल सपने में ही नहीं बल्कि जब तक मैं इस धरती पर रहूं मेरी हृदय में प्रतिक्षण आप ही का वास हो..!

    (2) दूसरा- मेरे इस धरती को छोड़ने से पहले मुझे एक बार फिर आपके चरण धोनी प्राप्त.. हो!

    परंतु एक वजन मैं तुमसे भी मांगता हूं... तुम आंसू नहीं बहागी!

    तब कृष्ण वहां से जाता है!

    फिर कृष्ण गोकुल से अक्रूर के साथ मथुरा चला गया!

    तब सारे  गोकुल वृंदावन में कृष्ण के बिना सुना सुना हो गया...


    Krishna radha में राधा की  दुखद मनोदशा....?


    परंतु राधा को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था लेकिन क्यों?

    क्योंकि उनकी दृष्टि में कृष्ण अभी भी उनसे दूर नहीं थे शारीरिक रूप से जुदाई, मिलना उनके लिए कोई महत्व नहीं रखता था!

    यदि कुछ महत्वपूर्ण था तो radha krishna राधा कृष्ण का भावनात्मक रूप से हमेशा जुड़ा रहना!

    कृष्ण के जाने के बाद राधा पूरा दिन उन्हीं के बारे में सोचते रहती! Krishna radhe

    और ऐसे ही कहीं दिन बीत गये, लेकिन आने वाले समय में राधा की जिंदगी क्या मोड़ लेने वाली थी उन्हें इसका अंदाजा भी नहीं था!

    राधा का विवाह माता पिता के दबाव में आकर राधा को विवाह करना पड़ा!

    माता पिता के दबाव में आकर राधा ने विवाह की संतान तथा घर गृहस्थी के नाम करना पड़ा!

    लेकिन दिल के किसी कोने में राधा अब भी कृष्ण का ही नाम लेती थी!


    Radhe krishna serial की तरह अद्भुत प्रेम 


    तीनों लोकों में राधा नाम की स्तुति सुनकर एक बार  देव ऋषि नारद चिंतित हो गए!

    Radha krishna


    और होंगे भी क्यों नहीं  वे स्वयं भी तो कृष्ण से कितना प्रेम करते थे!

    अपने इसी समस्या के समाधान के लिए श्री कृष्ण के पास जा पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि श्री कृष्णा सिर दर्द से कराह रहे हैं!

     नारद ने कृष्ण से पूछा "भगवान्" क्या इस वेदना का कोई उपचार नहीं है, तो कृष्ण ने उत्तर दिया,

    'यदि कोई मेरा भक्त अपना चरणोंदक पिला दे,तो यहां वेदना शांत हो सकती है! Radha krishna.

    यदि रुकमणी अपना चरणोंदक पिला दे तो शायद लाभ हो सकता है!

    नारद ने सोचा' भक्त का चरणोंदक श्रीमुख में ' फिर रुकमणी के पास जाकर सहारा हाल कह दिया

    रुकमणी भी बोली कि नहीं-नहीं देव ऋषि' मैं यह  पाप नहीं कर सकती!

    नारद ने लौटकर कृष्ण के सामने रुक्मणी की असहमति व्यक्त कर दी!

    तो, राधे कृष्ण  में  कृष्ण ने देवर्षि को राधा के पास भेज दिया!

    राधा ने जैसे ही सुना, तुरंत एक पात्र में जल लाकर उसमें अपना पैर डुबो दिए और नारद से बोली" देव ऋषि इसे तत्काल कृष्ण के पास ले जाइए!

    मैं जानती हूँ इसमें मुझे घोर नर्क मिलेगा, किंतु अपने प्रियतम के सुख के लिए मैं यह यातना भोगने को तैयार हूँ!

    तब देव ऋषि नारद समझ गए कि तीनों लोकों में राधा के प्रेम की स्तुति क्यों हो रही है!

    प्रस्तुत प्रसंग में राधा ने अपने प्रेम का अद्भुत परिचय दिया है यही है सच्चे प्रेम की पराकाष्ठा, जो लाभ हानि की गणना नहीं करता!

    Radha krishma की समर्पण का भाव 


    राधा शक्ति का अवतार मानी जाती है कहा जाता है  राधा कृष्ण के प्रति समर्पित थी!

    वृंदावन के माखन चोर जब भी बांसुरी बजाया करते थे राधा उनकी घुन में पूरी तरह खो जाती थी और खुद को नाचने से रोक नहीं पाती थी!

    जब में  कृष्ण यमुना नदी के अंदर कालिया नाग का वध करने गए तब वृंदावन में सभी कृष्ण की कुशलता की प्रार्थना कर रहे थे,,

    उस समय राधा ही थी जो कृष्ण के लिए जान देने के लिए भी तैयार थी!

    इस तरह राधा कृष्ण की अद्भुत समर्पण प्रेम और त्याग की भावना थी!

    फिर एक रात घर से चुपके से निकल गई और घूमते घूमते radha krishna की नगरी द्वारिका जा पहुंची!

    वहां पहुंचते ही कृष्ण से मिलने के लिए निवेदन किया लेकिन पहली बार में उन्हें यह मौका प्राप्त ना हुआ!

    परंतु आखिरकार उन्होंने कहीं सारे लोगों के बीच खड़े कृष्ण को खोज निकाला!

    राधा को देखते ही कृष्ण के खुशी का ठिकाना नहीं रहा.. लेकिन दोनों में कोई वार्तालाप ना हुई!

    क्योंकि मानसिक संकेत अभी भी उपस्थित थी उन्हें लफ्जों की आवश्यकता नहीं थी!

    कहते हैं  radha krishna की कौन थी यह द्वारिका नगरी में कोई नहीं जानता था!

    राधा के अनुरोध पर कृष्ण ने उन्हें एक देविका के रूप में नियुक्त करा दिया!

    वे दिनभर महल में रहती, महल से संबंधित कार्यों को देखती और जब भी मौका मिलता दूर से ही कृष्ण के दर्शन कर लेती! 

    Radhe krishna  उपसंहार


    लेकिन न जाने क्यों धीरे धीरे एक भय पैदा हो रहा था जो बीतते समय के साथ बढ़ता जा रहा था!

    उन्हें फिर से कृष्ण से दूर होने जाने का डर सताता रहता..

    उनकी यह भावनाएं कृष्ण के पास रहने न दे देती!

    साथ ही बढ़ती उम्र ने भी  उहें  radha krishna से दूर जाने को मजबूर कर दिया!

    अंततः एक शाम महल से चुपके से निकल गई और न जाने किस ओर चल पड़ी!

    वह नहीं जानती है कि वह कहां जा रही है पर क्या मिलेगा, बस चलती जा रही थी!

    परंतु कृष्ण तो भगवान हैं वह सब जानते थे इसलिए अपने अंतर्मन में जानते थे कि राधा कहां जा रही है!

    फिर वह समय आया जब राधा को कृष्ण की आवश्यकता पड़ी!

    और वह अकेली थी और किसी भी तरह से कृष्ण को देखना चाह रही थी

    और यह तमन्ना उत्पन्न होते ही  कृष्णा उनके सामने आ गए परंतु दूसरी ओर वह समय निकट था,

    जब राधा पाने प्राण त्याग कर दुनिया को अलविदा कहना चाहती थी..

    कृष्णा ने राधा से प्रश्न किया कि वे उनसे कुछ मांगे लेकिन राधा ने मना कर दिया!

    जीवन भर राधा ने उनसे कुछ नहीं मांगा इसलिए राधा ने उनसे एक ही मांग की!

    आखिरी बार कृष्ण को बांसुरी बजाते हुए देखना चाहती थी!

    कृष्ण राधा को गोद में ले लिया और....

    Radha krishna के पल "कृष्ण बांसुरी ली और और बेहद मधुर धुन में बांसुरी बजाया.. 

    बांसुरी बजाते बजाते राधा ने अपने शरीर का त्याग किया और दुनिया से चली गई उनके 
    जाते ही कृष्ण ने बांसुरी को कोसों दूर फेंक दी इसके बाद कृष्ण ने बांसुरी कभी नहीं बजाया!






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