Hindi love 


   संगीता के आशिकों की कहानी

 

Hindi love कभी पता चला कि गाँव के परमेसरा की छोटकी साली गर्मी की छुट्टी में अपने बहिन के यहाँ आ गयी है।बस गाँव के सभी मजनुओं में जीजा बनने की होड़ लग जाती थी।


इधर गाँव जेठ-आसाढ़ में तपता था,उधर साली जी को देखते ही मजनूओं के दिल में सावन बरसने लगता था।

फिर क्या साली के मुंह से अपने लिये जीजा सुनने के लिये अखिल भारतीय स्तर का कम्पटीशन हो जाता..


“अरे यार हमको जीजा नहीं कही, उधर सात बार परमोदवा को रोज ‘जीजा जी नमस्ते’ कहती है।hindi love अरे धूर साला ई कइसे हो सकता है रे सनूआ”...?


लिजिये साहेब.अब साली जी के सामने गाँव के छोट-बड़ सब परमेसरा का सगा छोट भाई होने का ओरीजिनल प्रमाण पत्र और उसके साथ अपने उत्तम चरित्र की संलग्न छाया प्रति प्रस्तुत करने लगते थे.


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“हरे सनु..बताओ…आखिर परमेसरा के नानी हमरे आजी के ननद की भवह लगती हैं तो हमारा भी कुछ लगता है न परमेसरा…क रे सन्टु”? 


तो हम भी जीजा हुये की नहीं का रे बबलुआ?”


सनुआ और बबलुआ अभी जोड़-घटाना, गुणा-भाग करके रिजल्ट निकालते ही कि इधर बेचारी साली जी के दिमाग का फ्यूजे उड़ जाता था..बार रे बाप! 


👉Hindi love एक सौ तिहत्तर से अधिक जीजा के उम्मीदवार.छोटका जीजा, बड़का जीजा,मझिला जीजा आ सझिला जीजा..मने नाना किसिम के जीजा।


और इधर जा रे जमाना। बेचारी एक छुई-मुई सी संगीता, कितने लोगों की साली बनें ? अरे बियाह बाद पहली बार तो दीदीया के घर आई है.आने के पहले ही माई आ बाबूजी से तीन घन्टा बाइस मिनट प्रवचन सुनी हैं.


” देख बबुनी बनल आवारा हैं उस गाँव के लइका सब..


बियाह में देखी नहीं थी..तनी बच के रहना..ओढ़नी लगा के ही बहरी निकलना.अरे अगिला साल बियाह करना है न तुम्हारा.”


   Hindi love की इंटरेस्टिंग पल


लजाते-सकुचाते बेचारी संगीता एक-एक कदम बढ़ातीं।

 

सैड लव स्टोरी "और सोचने लगतीं थी कि अब किस-किस पर धेयान दे,किस-किस को जीजा कहे ये बड़ी संकट का विषय हो जाता था।


इधर अपनी तरफ धेयान दिलवाने के लिए लौंडे समस्त आर्थिक और शारीरिक ताकत झोंक देते थे। 


वो दिन में भर कीरीम-पाउडर इतर फुलेल लगाके,साइकिल को सतरह बार धोना,फिर करुआ तेल लगाके साईकिल को चमकाना, चिक्कन-चाकन दिखने के चक्कर में ब्लेड से दाढ़ी काट लेना.


फिर साँझ को आठ बार पेंट-शर्ट को प्रेस करना और ट्रिंग-ट्रिंग घण्टी बजाते हुये परमेसरा के घर का एक सौ बीस बार चक्कर लगाना शुरू हो जाता था.


भले परमेसरा से बात किये सवा सात महीना हो गये हों . लेकिन साली जी के आने के बाद बार-बार बहाना बनाके उसके दुआर पर उठना-बैठना स्टॉर्ट हो जाता था..


“अउर परमेसर भाई इहे गइया दहेज में मिली थी न…?

बढ़िया से खिआओ मरदे..खाये बिना सुख गयी है….भूसा-लेहना कम हो तो बताना हम सुबह पहुंचा देंगे”


लिजिये…. hindi love इससे पहले परमेसर जी अपने प्रति अचानक उमड़े इस प्रेम की समीक्षा करें ।


 बेचारी संगीता जी समझ जाती थीं कि उनके देखनिहारों (आशिकों) की लम्बी लाइन है इस मोहल्ले में.


वो भी बोरोप्लस,क्रिम पाउडर सलीके से लगाकर अपना आठ सौ वाला क्रिम कलर का सूट और डबल चोटी बनाके खूब संस्कारी टाइप दुपट्टा ओढ़ दुआर पर जाकर धीरे से आवाज देतीं।


“ए जीजा जी आपको न दीदीया बुला रही है”


अब का…साली जी को देखते ही मजनुआ के दिल में कुमार सानू भांगड़ा करने लगते थे..सोनू निगम आ अलका याज्ञनिक तो लगता था कि अब गा-गा कर मजनुआ के दिल में ही समाधि ले लेंगे।


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विविध भारती के गाने सुहाने और दूरदर्शन का चित्रहार एक साथ शुरु हो जाता था।मजनुआ बेचारा साइकिल की घण्टी बजाता और दिलवा के बाएं हिस्से में हाथ रखकर कह देता..


“अरे ए साली जी.. मने हमू आपके एगो जीजा जी हैं…हमरो के जीजा एक बार कहिये न”


अब का साली जी लजा के भग जाती थीं.अउर रात को अकेले में अपनी दीदीया से बतातीं थीं


“ए दीदी हउ दिनेस जीजा जी न बड़ी मउग हैं पता न कहाँ देख-देख के बतियाते हैं” hindi love दीदीया हंस के टाल देती थी।


फिर चार दिन बाद पता चलता की गांव का ट्रांसफार्मर बन गया,लाइट आ गयी..गांव भर खुश.अब मजनुआ का संगीत और संगीता प्रेम और जग जाता था.आशिकी फफाके पसरने लगती थी.


फिर तो वो दूसरे गाँव से आडियो कैसेट मांगना..साउंड बॉक्स को दूर छत पर रखके परमेसरा के घर की तरफ घूमा देना.आ थूक लगाके टेपरिकार्डर का हेड साफ़ करते हुये खूब तेज-तेज बजाना..


“मुझसे मुहब्बत का इजहार करती

काश कोई लड़की मुझे प्यार करती”


ई प्रेम संगीत सुनके भले संगीता के दिल के दरवाजा की कुण्डी बजे या न बजे, लेकिन वो जितने दिन गाँव में रहतीं उतने दिन गाँव का माहौल इतना साहित्यिक और सांगीतिक हो जाता था,


 मानों भारत सरकार साहित्य अकादमी और संगीत नाटक अकादमी की एक ब्रांच यहाँ बना रही हो।


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कुछ देर बाद पता चलता था कि आज चन्दा लगाके वीडियो मंगाया जाएगा, मने आज पूरा मोहल्ला

परमेसरा के छत पर बैठ के वीडियो देखेगा।सबसे पहिले भक्ति फिलिम चलेगा.


“जय माँ वैष्णो देवी…” कवनो कहता नहीं..जय सन्तोषी माँ चलेगा आज बुध है..”बड़ी हुज्जत के बाद तीन घण्टा में डिसाइड होता की कवन-कवन फिलिम चलेगा..


इधर सांझे से टोला मोहल्ला के सभी लोग खाना-वाना बनाके,सबको खिया के परमेसरा के छत पर हाजिर… बिडियो स्टार्ट.होंडा में पेट्रॉल डला गया..वीसीआर को थूक लगा के साफ़ कर दिया गया..


कैसेट लगा के फिलिम चालू।


पूरा टोला के लोग आँख गड़ा के फिलिम देख रहे हैं…


वैष्णों माता की कृपा से अपने आप पूड़ी छना रहा है जलेबी बन रहा है..”जय हो वैष्णो माई” …केतना दयालु हैं आप..भक्त का लाज रख लीं…इज्जत बचा लीं” कुछ औरतें रो-रो कर तो आँचर भीगा लेतीं।


और इधर मजनुआ के दिल में सितार बजने लगता।

उसकी आँखे तो संगीता जी को खोज रहीं हैं..

लव स्टोरी इन हिंदी हार्ट टचिंग काहें की आगे…

सन्नी देवला का दू गो फिलिम आ एगो मिथुना का फेर भोर में अजय देवगनवा का दिल वाले फिलिम चलेगा..”

गाना बजेगा…


कितना हसीन चेहरा कितनी प्यारी आँखे

कितनी प्यारी आँखे हैं,

आँखों से छलकता प्यार

कुदरत ने बनाया होगा

फुर्सत से तुझे मेरे यार”


‘अरे कहाँ हैं ए साली जी ई सब आप ही के लिए हुआ आप गायब हैं”?


साली जी बेचारी दीदीया के सख्त आदेश के मद्देनज़र लुका के फिलिम देखतीं..रात भर वीडियो चलता hindi love और


और आखिरकार संगीता जी सुबह खुद को दिलवाला मानते हुये मजनुआ के हाथ से लभ लेटर लेकर मसाला पीसने बैठ जातीं..इधर मजनुआ जोर-जोर से गाना बजाने लगता..


“पहली बार सलाम लिखा

मैंने खत महबूब के नाम लिखा”


एक दो हफ्ते खतों का सिलसिला चलता..जीजा-साली प्रेम परवान चढ़ने की नौबत अभी आती ही कि संगीता जी के बाबूजी उन्हें लेने आ जाते…हाय!


दो मिनट में मजनुआ का साली प्रेम खाली होकर दिल फट हुआ कोंहड़ा हो जाता था।..


पता न जियत जिनगी में अब कहिया संगीता से भेंट होगा..फिर रो-रो कर इश्क का आखिरी लेटर लिखा जाता और प्रेम कहानी मोबाईल,फेसबुक, What’s App के अभाव में वहीं खतम हो जाती थी।

जा रे जमाना।


प्रेम के इतिहास भूगोल की किताबों में भले इन टूटे हुये दिलों का कोई सटीक आँकड़ा उपलब्ध नहीं है…


इन टूटे हुये दिलों को जोड़ने के लिए कोई सर्विस सेंटर भी नहीं बना…न ही भावनाओं की हुई क्षतिपूर्ति के लिए राष्ट्रीय बजट में धन की आज तक किसी सरकार ने व्यवस्था की है.


Hindi love का उपसंहार


लेकिन ख़ुशी की बात है आज मजनुआ को इतना पापड़ बेलने की जरूरत नहीं पड़ती..न ही स्मार्ट फोन वाली संगीता को अब इतना लजाने की आवश्यकता महसूस होती है।


आज तो बेचारे जीजा जी, “माई स्वीट एन्ड क्यूट जीजू” हो गये हैं..साली का Whatsapp नम्बर तो मजनुआ को जयमाल के टाइमें मिल जाता है।


लेकिन अफसोस आज गाँव में मजनुआ दिखाई नहीं देते….आज बेरोजगारी और अभाव ने न जाने कितने मजनुआ को दिल्ली नवेडा और मलेटरी में भेज दिया है.

घर-घर टीवी, hindi love हाथ-हाथ स्मार्ट फोन में हर पल फ़िल्म आ धारावाहिक दिखने लगा है..न टेप में थूक लगाने की जरूरत है न टीवी के लिए एंटीना घुमाने की।

बहुत उन्नति दिखाई देती है..

लेकिन न जाने क्यों..


गाँवों में आजकल गाँव दिखाई नहीँ देता….


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